लोकसभा चुनाव समाप्त हो चुके हैं और एग्जिट पोल्स के परिणाम भी आ गए हैं। सभी एजेंसियों के परिणामों के मुताबिक एनडीए को ही बहुमत मिला है और बीजेपी की जीतने की संभावना प्रबल हो गई है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या एग्जिट पोल के परिणामों पर विश्वास किया जाना चाहिए? क्या ये परिणाम हमेशा पूरी तरह सही साबित होते हैं?

हर बार एग्जिट पोल के परिणाम सही नहीं होते हैं। कई ऐसे चुनाव भी अब तक हुए हैं जिनमे एग्जिट पोल के आंकड़े पूरी तरह से गलत साबित हुए हैं। कई चुनावों में एग्जिट पोल ने एनडीए को बढ़त दी थी, लेकिन इन चुनावों में बीजेपी बुरी तरह हारी थी। तो आइए जानते हैं इनके बारे में।

2004 जैसा न हो जाए हाल बीजेपी का हाल

Exit Poll 2019 में भले ही बीजेपी को बढ़त मिल रही हो लेकिन 2004 के लोक सभा चुनाव में एग्जिट पोल के परिणाम धरे के धरे रह गए थे। सारी एजेंसियों ने औसतन 255 सीटें एनडीए को दी थी। लेकिन असल में एनडीए को 200 सीटें भी नहीं मिली थी। एनडीए को 189 और बीजेपी को138 सीटें मिली थी। चुनाव में यूपीए को 183 सीटों का अनुमान था, जबकि उसे 222 सीटें मिली थी। समाजवादी पार्टी के साथ मिल कर तब कांग्रेस की सरकार बनी थी।

2009 में भी फेल हुए Exit Poll

2009 का लोकसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल के आंकड़ें गलत साबित हुए। UPA को 199 और NDA को 197 सीटें दी थीं जबकि यूपीए को 262 सीटें मिली थी। दूसरी ओर एनडीए को केवल 159 सीटें प्राप्त हुई थी।

बिहार विधान सभा चुनाव

2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी एग्जिट पोल फेल रहा था। पोल्स में बीजेपी+ को जेडीयू-आरजेडी गठबंधन पर बढ़त बताई गई थी, लेकिन परिणाम कुछ और ही रहा और बीजेपी को केवल 58 सीटें ही मिली जबकि दूसरी और जेडीयू-आरजेडी गठबंधन ने 178 सीटों के साथ जीत हासिल की।

दिल्ली के चुनाव में एग्जिट पोल का अनुमान हो गया था फेल

2015 में हुए विधान सभा चुनाव के एग्जि‍ट पोल में आम आदमी पार्टी (AAP) को 31 से लेकर 53 सीटें तक मिलने का कयास लगाया गया था बीजेपी को 17-35 सीटें दी थीं। लेकिन यहां आम आदमी पार्टी को 70 में से 67 सीटें मिलीं। दूसरी ओर बीजेपी को 3 और कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी।

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