द्रौपदी की इस बात को जानकर हैरान रह गए थे सभी पांडव, जानिए
महाभारत की कहानी में ऐसा बहुत कुछ हुआ जिसकी कल्पना कर पाना भी मुमकिन नहीं था। महाभारत की कहानी की अलग-अलग विद्धान अलग-अलग तरह से व्याख्या करते हैं। इसमें कई लोकप्रिय अध्याय हैं। महाभारत में द्रौपदी के किरदार को कोई नहीं भूल सकता है। द्रौपदी 5 पांडवों की पत्नी थी। आज हम आपको द्रौपदी से जुड़े ही एक राज के बारे में बताने जा रहे हैं।
द्रौपदी पांच पांडवों की पत्नी थीं लेकिन फिर भी वह 5 पांडवों को एक समान नहीं चाहती थी। द्रौपदी सबसे ज्यादा प्यार अर्जुन से करती थी। लेकिन दूसरी तरफ अर्जुन द्रौपदी को वह प्यार नहीं दे पाया क्योकिं वह श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा से सबसे ज्यादा प्यार करता था।
पांडवों के निर्वासन के 12वें वर्ष के दौरान द्रौपदी ने एक पेड़ पर पके हुए जामुनों का गुच्छा लटकते देखा। उसे देख कर द्रौपदी ने उसे तोड़ लिया और वह उसे खाने ही वाली थी कि इतने में भगवान कृष्ण वहां पहुंच गए। उन्होंने बताया कि इस फल से एक साधू अपना 12 साल का उपवास तोड़ने वाले थे। अब उस साधू के कोप का शिकार आप हो सकते हैं। ये सुनकर पांचो पांडव उनसे मदद के लिए गुहार लगाने लगे।
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि अब सभी को केवल सत्य बोलना है और सत्य बोलने पर फल वापस पेड़ के नजदीक जाता जाएगा और फिर से जाकर पेड़ में लग जाएंगे। लेकिन यदि कोई झूट बोला तो उन्हें साधू के कोप का सामना करना पड़ेगा।
सबसे पहले बारी युधिष्ठिर की थी। युधिष्ठिर ने कहा कि दुनिया में सत्य, ईमानदारी, सहिष्णुता का प्रसार होना चाहिए, जबकि बेईमानी और दुष्टता का सर्वनाश होना चाहिए। युधिष्ठिर ने कहा कि जो पांडवों के साथ बुरा हुआ है उसकी जिम्मेदार द्रौपदी है और इसके बाद एक फल वापस जाकर पेड़ में लग गया।
भीम ने कहा कि उसकी खाना, लड़ाई, नींद और सेक्स के प्रति उसकी आसक्ति कभी कम नहीं होती है। आगे भीम ने कहा कि वह धतराष्ट्र के सभी पुत्रों को मार देंगे लेकिन युधिष्ठिर के प्रति उनके मन में काफी श्रद्धा है। लेकिन जो भी उसके गदे का अपमान करेगा, वह उसे मृत्यु के घाट उतार देगा. इसके बाद फल दो फीट और ऊपर चला गया.
अर्जुन ने कहा कि प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि से मुझे बहुत प्यार है। जब तक मैं युद्ध में कर्ण को मार नहीं दूंगा तब तक मेरे जीवन का उद्देश्य पूरा नहीं होगा। इसके लिए मैं कोई धर्मविरुद्ध तरीका भी अपना सकता हूँ।
अर्जुन के बाद नकुल और सहदेव ने भी कोई रहस्य ना छिपाते हुए सब सच-सच कह दिया। अब द्रौपदी की बारी आई। द्रौपदी ने कहा कि मेरे पांच पति मेरी पांच ज्ञानेन्द्रियों (आंख, कान, नाक, मुंह और शरीर) की तरह हैं। लेकिन मैं अपने दुर्भाग्य के कारण परेशान हूँ। मैं शिक्षित होने के बावजूद बिना सोच-विचारकर किए गए अपने कार्यों के लिए पछता रही हूं। द्रौपदी के ऐसा कहने पर फल ऊपर नहीं गए।
तब द्रौपदी ने अपने पतियों की तरफ देखते हुए कहा - मैं आप पांचों से प्यार करती हूं लेकिन मैं किसी छटे इंसान से भी प्यार करती हूँ और उसका नाम कर्ण है। जाति की वजह से मेरा विवाह कर्ण से नहीं हो पाया लेकिन यदि ऐसा हो जाता तो शायद मुझे इतने दुख नहीं झेलने पड़ते।
यह सुनकर पांचों पांडव हैरान रह गए लेकिन किसी ने कुछ कहा नहीं। इसके बाद सारे फल वापस पेड़ पर पहुंच गए। इस घटना के बाद से पांडवों को यह एहसास हुआ कि पांच बहादुर पतियों के होने के बावजूद वह अपनी पत्नी की जरूरत के समय रक्षा करने नहीं पहुंचे।