हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक भगवान शिव ने 12 रूद्र अवतार लिए हैं, इनमें से हनुमान अवतार को श्रेष्ठ माना गया है। मतलब साफ है, हनुमान जी को भगवान शंकर का रूद्र अवतार कहा जाता है। शास्त्रों में श्रीराम भक्त हनुमान के जन्म की दो तिथि का उल्लेख मिलता है।

जब हनुमान जी की माता अंजनी ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और उन्हें पुत्र के रूप में प्राप्त करने का वर मांगा था। तब महादेव ने पवन देव के रूप में अपनी रौद्र शक्ति का अंश यज्ञ कुंड में अर्पित किया था और वही शक्ति अंजनी के गर्भ में प्रविष्ट हुई थी। इसके बाद चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्म हुआ था।

पौराणि‍क कथाओं के मुताबिक राक्षसों के राजा रावण का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने राम का अवतार लिया था। उस समय देवगणों ने अलग-अलग रूप में भगवान राम की सेवा करने के लिए अवतार लिया था। इसी क्रम में भगवान शंकर ने भी अपना रूद्र अवतार लिया था। इसके पीछे असली वजह यह थी कि उन्हें भगवान विष्णु से दास्य का वरदान प्राप्त हुआ था। फलस्वरूप भगवान शंकर ने हनुमान जी के रूप में श्रीराम की सेवा भी की और रावण वध में उनकी सहायता भी की थी।

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