सपा सरंक्षक मुलायम सिंह के दादा जी आजादी से पहले फिरोजाबाद के इटौली से आकर सैफई में बस गए थे। इनका नाम खड़गजीत सिंह था। खड़गजीत सिंह कुश्ती और घुड़सवारी के शौकीन थे। एक घोड़े को लेकर खड़गजीत सिंह और अंग्रेज अफसर में झगड़ा हो गया, इसके बाद खड़गजीत ने उस अंग्रेज अफसर को पटक दिया था। तब अंग्रेजों ने इनके घोड़े को गोली मार दी तथा खड़गजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। तभी से पूरा परिवार सैफई में आकर रहने लगा।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि मुलायम सिंह यादव की शादी के 16 साल बाद अखिलेश यादव का जन्म हुआ। मुलायम सिंह यादव के मित्र दर्शन सिंह ने कहा कि मुलायम के घर टीपू सुल्तान पैदा हुआ है। तभी से अखिलेश का नाम टीपू पड़ गया।

वही दर्शन सिंह जो कभी जसवंतनगर विधानसभा में साइकिल पर मुलायम को पीछे बैठा कर चुनाव प्रचार करते थे। उन दिनों मुलायम सिंह यादव प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार हुआ करते थे। क्षेत्र की जनता ने जब पैसे इकट्ठा करके दिए तब एंबेसेडर कार खरीदी गई। नेता जी ने कहा कि चुनाव जीतने के बाद सब लौटा दूंगा। कार में पेट्रोल के लिए सोनेलाल नाम के आदमी ने कहा कि एक वक्त का खाना नहीं खाएंगे और पेट्रोल का पैसा देंगे।

साल 1977 में रामनरेश यादव की सरकार में मुलायम सिंह सहकारिता मंत्री थे। उन दिनों मुलायम सिंह अपने बेटे टीपू को पढ़ाने के लिए इटावा के चौबुर्जी में एक छोटा सा घर ले चुके थे। टीपू ने अपनी प्राथमिक शिक्षा यहीं से शुरू की। स्कूल में जब टीचर ने पूछा कि क्या नाम रखा जाएगा। टीपू नाम कैसे चलेगा। इसके बाद टीपू को कई नाम दिखाए गए। फिर क्या था, टीपू ने खुद ही अपने लिए अखिलेश नाम चुन लिया।

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