पृथ्वीराज को पूरी दुनिया जानती है और उनकी महानता और वीरता के बारे में आपको बताने की कोई जरूरत नहीं है। उनकी शूरवीरता के आज भी दुनिया भर में चर्चे होते हैं। एक वीर योद्धा होने के साथ-साथ एक महान प्रेमी भी थे। वह अपनी पत्नी संयोगिता से बहुत ही अधिक प्रेम करते थे। पृथ्वीराज और संयोगिता ने कन्नौज से भागकर विवाह किया उसके बाद पृथ्वीराज हमेशा उनके ख्यालों में खोए रहते थे और उनकी ही बातों को याद करते रहते थे।

उनके प्रेम के कारण पृथ्वीराज ने सभी महत्वपूर्ण कामों में ध्यान देना छोड़ दिया था और राज कार्यों में भी पूर्ण रूप से भाग नहीं ले रहे थे। तब इसका फायदा मोहम्मद गौरी को मिला जब मोहम्मद गोरी तराइन का प्रथम युद्ध हार गया था तो उसके बाद उसे पृथ्वीराज की शक्ति का पता लग गया था।

उसने फिर से पृथ्वीराज से लड़ने की सोची। पृथ्वीराज पर दुगनी सेना के साथ आक्रमण करने के लिए गौरी पानीपत में पहुंच गया और पृथ्वीराज को युद्ध के लिए सीधी चुनौती दे दी। पृथ्वीराज के एक मित्र ने उन्हें प्रेम जाल से बाहर निकल कर और चीजों पर ध्यान देने के लिए भी कहा और उसे समझाया लेकिन पृथ्वीराज को फिर भी कुछ समझ नहीं आ रहा था।

उसने बाद में गौरी से लड़ने के लिए तैयारी करने के बारे में सोचा लेकिन जब तक पृथ्वीराज युद्ध की तैयारी करता उससे पहले ही मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज पर आक्रमण कर दिया और पृथ्वीराज को बंदी बना लिया।

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