हिंदू धर्मग्रंथों के मुताबिक, हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष हनुमान जयंती का पर्व 19 अप्रैल दिन शुक्रवार को है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि हनुमान जी भगवान शिव के अवतार हैं। परमशक्तिशाली हनुमान जी को इतनी शक्तियां कहां से प्राप्त हुई, इस बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं। तो देर किस बात की, आइए हम आपको बताते हैं कि हनुमान जी इतने शक्तिशाली कैसे बने?

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, बाल्यकाल में हनुमान जी जब सूर्यदेव को फल समझकर खाने को दौड़े तो देवराज इंद्र ने हनुमानजी पर वज्र से प्रहार किया। इस वज्र प्रहार से हनुमान जी बेहोश हो गए। इसके बाद हनुमान जी के मानस पिता वायुदेव ने समस्त संसार में वायु का प्रवाह रोक दिया। इस वजह से संसार में हाहाकार मच गया। इसके बाद परमपिता ब्रह्मा जी हनुमान को होश में ले आए। इसके बाद कई देवताओं ने हनुमान जी को वरदान दिए।

1- सूर्यदेव ने हनुमान जी को अपने तेज का सौवां भाग देते हुए कहा कि जब इसमें शास्त्र अध्ययन करने की शक्ति आ जाएगी, तब मैं इसे शास्त्रों का ज्ञान दूंगा। जिससे यह अच्छा वक्ता होगा और शास्त्रज्ञान में इसकी समानता करने वाला कोई नहीं होगा।

2- यमराज ने हनुमान जी को वरदान दिया कि यह मेरे दण्ड से अवध्य और निरोग होगा।

3- कुबेर ने हनुमान जी को यह वरदान किया कि इस बालक को युद्ध में कभी विषाद नहीं होगा। संग्राम में मेरी गदा भी इसका वध नहीं कर सकेगी।

4- भगवान शंकर ने भी हनुमान जी को वरदान किया कि यह मेरे शस्त्रों द्वारा अवध्य रहेगा।

5- भगवान विश्वकर्मा ने वरदान दिया कि मेरे द्वारा बनाए गए, जितने भी शस्त्र हैं उनसे यह अवध्य और चिंरजीवी होगा।

6- वरुण देवता ने हनुमान जी को वरदान दिया कि दस लाख वर्ष की आयु हो जाने पर भी यह मेरे पाश से मुक्त रहेगा। इसके अलावा जल से इस बालक की मृत्यु नहीं होगी।

7- देवराज इंद्र ने हनुमान जी को यह वरदान दिया कि यह बालक आज से मेरे वज्र द्वारा भी अवध्य रहेगा।

8- परमपिता ब्रह्मा जी ने हनुमान जी को वरदान दिया कि यह बालक दीर्घायु, महात्मा और सभी प्रकार के ब्रह्दण्डों से अवध्य होगा। युद्ध में कोई भी इसे जीत नहीं पाएगा। यह इच्छा अनुसार रूप धारण कर सकेगा, जहां चाहेगा जा सकेगा। इसकी गति इसकी इच्छा के अनुसार तीव्र या मंद हो जाएगी।

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