आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अंतिम दो चरण की वोटिंग होनी शेष है। लेकिन इससे पहले विपक्ष ही नहीं बल्कि बीजेपी के कुछ नेता और उसके सहयोगी दलों का ऐसा मानना है कि नरेंद्र मोदी इस बार बहुमत के जादुई आंकड़े तक नहीं पहुंच पाएंगे।

ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में भाजपा किन-किन दलोें के सहयोग से नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार बना सकती है। बता दें कि इस बार भारतीय जनता पार्टी यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब और तमिलनाडु समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में गठबंधन के जरिए चुनावी मैदान में है, जबकि बाकी राज्यों में भाजपा अकेले दम पर चुनाव लड़ रही है।

लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा 27 दलों के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरी थी। जिसमें भाजपा ने अकेले दम पर 282 सीटें हासिल की थी। जबकि एनडीए 336 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। हांलाकि इस बार टीडीपी और आरएलएसपी एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ रहे हैं।

इस बार सियासी समीकरण भी पूरी तरह से बदले हुए नजर आ रहे हैं। जहां एक तरफ अलग-अलग राज्यों में भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का मजबूत गठबंधन है, वहीं दूसरी तरफ साल 2014 के मुकाबले कांग्रेस की सियासी जमीन मजबूत नजर आ रही है।

लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने यूपी में अपना दल, बिहार में जेडीयू-एलजेपी, महाराष्ट्र में शिवसेना, पंजाब में अकाली दल, तमिलनाडु में AIADMK और पूर्वात्तर राज्यों में क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया है। ऐसे में यदि भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर भी बहुमत के आंकड़े को नहीं छू पाती है, तो उसे अन्य सहयोगी दलों की जरूरत पड़ेगी। ऐसी स्थिति में बीजेपी की नजर उन राजनीतिक दलों पर होगी, जो कांग्रेस के खिलाफ कभी न कभी बिगुल फूंकते नजर आए हैं।

बता दें कि भाजपा की पहली कोशिश जगन मोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस पर होगी, जो 2014 में कांग्रेस से टूटकर पार्टी बनी है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस को अच्छी खासी सीटें मिलेंगी। जगन मोहन रेड्डी भी इस बात का संकेत दे चुके हैं कि वो उसी के साथ केंद्र में जाएंगे जो आंध्र प्रदेश को स्पेशल स्टेट्स का दर्जा देगा। कांग्रेस से जगन की अदावत को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि चुनाव के बाद वाईएसआर बीजेपी को अपना समर्थन दे सकती है।

बीजेपी की नजर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर की पार्टी टीआरएस पर भी है। पिछले पांच सालों से केसीआर, नरेंद्र मोदी सरकार को वक्त बे वक्त मदद करते रहे हैं। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में भी एनडीए के उम्मीदवार के पक्ष में वोटिंग किया था। बता दें कि तेलांगना में केसीआर का मुकाबला बीजेपी के बजाय कांग्रेस से हैं। ऐसे में बीजेपी को सरकार बनाने की जरूरत पड़ी तो केसीआर का साथ मिल सकता है।

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी पहले भी एनडीए के साथ रह चुकी है। इतना ही नहीं पिछले पांच साल में मोदी सरकार के बड़े फैसलों पर बीजेडी का साथ मिला। ऐसे में संभावना है कि नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए अगर कुछ सीटों की अवश्यकता पड़ती है तो बीजेडी अपना समर्थन दे सकती है। पटनायक का कांग्रेस से छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है।

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