लोकसभा चुनाव 2019 में 73 वर्ष के उम्मीदवार विजय प्रकाश कोंडेकर पिछले दो महीने से गली-मोहल्ले में घूम-घूमकर अपने चुनाव प्रचार अभियान के लिए समर्थन हासिल करने में जुटे हैं। बता दें कि प्रकाश कोंडेकर का चुनाव चिह्न जूता है, जो उन्हें निर्वाचन आयोग ने दिया है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले विजय प्रकाश के साइन बोर्ड पर 100 रुपए दान करने की अपील लगी होती थी। लेकिन आजकल इस बोर्ड पर जूते को जिताएं लिखा रहता है। प्रकाश कोंडेकर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि वो एक दिन वे भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। वो कहते हैं कि मैं लोगों को केवल यह दिखाना चाहता हूं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टियां ही एकमात्र रास्ता नहीं है। मेरी योजना देश को अपने जैसे स्वतंत्र उम्मीदवार देने की है, और देश से भ्रष्टाचार ख़त्म करने का सिर्फ़ यही एक रास्ता है।

विजय प्रकाश कहते हैं कि यदि ऐसा होता है तो वह देश के हर नागरिक को 17,000 रुपये देंगे। प्रकाश का मानना है कि यदि सरकारी खर्चों में कटौती कर दी जाए तो यह वादा पूरा करना बहुत आसान होगा। आपको जानकारी के लिए बता दें कि विजय प्रकाश साल 1980 तक महाराष्ट्र के बिजली विभाग में काम करते थे। लेकिन अब उन्हें पुणे की गलियों में साइनबोर्ड लगी स्टील की एक गाड़ी धकेलते देखा जा सकता है।

कुछ लोग विजय प्रकाश को देखकर नज़रअंदाज़ करते हैं, तो कुछ उनके साथ सेल्फ़ी लेना चाहते हैं। ​प्रकाश सेल्फी के लिए बहुत आसानी से तैयार हो जाते हैं, क्योंकि यह बात अच्छी तरह से पता है कि इससे सोशल मीडिया पर उन्हें मुफ़्त में पब्लिसिटी मिल जाएगी। कुछ लोग प्रकाश का हुलिया देखकर उनका मज़ाक भी बनाते हैं।

गौरतलब है कि विजय प्रकाश कोंडेकर इससे पहले 24 अलग-अलग चुनाव लड़ चुके हैं और हार भी चुके हैं। प्रकाश उन सैकड़ों निर्दलीय प्रत्याशियों में से एक हैं जो हर लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी अपनी किस्मत आज़मा रहे हैं।

Related News