भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह बार-बार 300 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर क्या वजह है कि भाजपा इतने आत्मविश्वास से लबरेज है। भाजपा क्यों बार-बार कह रही है कि आएगा तो मोदी ही? आइए जानते हैं, इसके पीछे असली वजह क्या है।

दरअसल लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा की जीत का अंतर इस आत्मविश्वास की वजह है। साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो 312 सीटें ऐसी थीं जिन पर जीत का अंतर 1 लाख से ज्यादा था। दूसरे शब्दों में कहें तो यदि भाजपा को हराना है, तो इन सीटों पर पचास हज़ार से डेढ़ लाख तक मतदाताओं को बीजेपी से मुख्य विपक्षी पार्टी की तरफ आना होगा।

संगठन के मामले में भी भाजपा बेहद मजबूत है। हर बूथ पर उसके कार्यकर्ता हैं। दूसरी पार्टियों के जहां टेंट तक नहीं हैं, वहीं बूथ मैनेजमेंट के अलावा भाजपा हर सीट पर उम्मीदवारों के चयन, संसाधनों के उपयोग, बेतहाशा धन शक्ति, तकनीकी दक्षता और सत्ता में होने के कारण प्रशासन पर पकड़ ऐसे मुख्य कारण बने हैं, जो अन्य पार्टियों के मुकाबले उसे बढ़त देते हैं।

भाजपा के पास सोशल मीडिया की सबसे बड़ी ताकत है। कई बार तो ऐसी बात भी सच दिखने लगती है, जो वास्तव में हुई ही न हो क्योंकि उसे सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर फैला दिया जाता है।हांलाकि राहुल गांधी ने पीएम मोदी की अजेय होने की इमेज को कमज़ोर किया है। राहुल और कांग्रेस के अंदर यह आत्मविश्वास राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में मिली जीत से आया है।

हांलाकि पीएम मोदी 2019 की लड़ाई शायद हार जाते, लेकिन राहुल के पास अपना संगठन और आधार उतना मजबूत नहीं है। ऐसे में सिर्फ विपक्षी एकता का हथियार बचता है। जिस महागठबंधन की चर्चा बड़े जोर-शोर के साथ शुरू हुई थी, वह महज उत्तर प्रदेश तक सिमट चुका है। सभी दल मोदी को हटाने के दावे तो कर रहे हैं लेकिन वे आपस में एकजुट नहीं हैं।

आपको याद दिला दें कि लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा ने गुजरात की सभी 26 सीटें तथा राजस्थान की सभी 25 सीटें जीती थीं। मध्य प्रदेश की 29 में से 27 सीटें तथा छत्तीसगढ़ की 11 में से 10 सीटें भाजपा के खाते में गई थीं। ठीक इसी तरह उत्तर प्रदेश की 80 में से 73, महाराष्ट्र की 48 में से 41 और बिहार की 40 में से 32 सीटें एनडीए के पास थीं।

चूंकि इस बार के लोकसभा चुनाव में अब राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं। वहीं महाराष्ट्र, यूपी और बिहार में भाजपा को गठबंधन की टक्कर मिल रही है। ऐसे में यहां अगर घाटा पड़ा तो भाजपा को दिक्कत हो जाएगी। बता दें कि लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा का सारा खेल पश्चिमी बंगाल और उड़ीसा पर ही टिका हुआ है।

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