शिर्डी के साईं बाबा ने दुनिया छोड़ने से पहले यह संकेत दिया था कि धरती से विदा होने के लिए दशहरा सबसे अच्छा दिन है। बता दें कि 15 अक्टूबर 1918 को दशहरे के दिन साईं बाबा ने शिर्डी में समाधि ली थी।

साईं बाबा के जीवन काल में जहां हिंदू उनकी पूजा भगवान की तरह किया करते थे, वहीं मु​सलमान उन्हें फकीर मानते थे।

जानकारी के लिए बता दें कि साईं बाबा के निधन के बाद उनका दाह संस्कार हो या फिर दफनाया जाए, इस बात को लेकर सरकारी अधिकारियों की मौजूदगी में वोटिंग कराई गई थी। मतदान के बाद साईं बाबा का अंतिम संस्कार हिंदू रीति से किया गया था।

निधन से पहले साईं बाबा ने धार्मिक ग्रंथ सुनने की इच्छा व्यक्त की थी। शिर्डी के ही एक व्यक्ति से साईं बाबा ने श्रीराम विजय प्रकरण सुनाने को कहा था। साईं बाबा ने करीब एक सप्ताह तक यह पाठ सुना।

हांलाकि साईं बाबा के जन्म के संबंध में कोई सटीक जानकारी नहीं मिलती है, लेकिन शिर्डी के कुछ जानकारों के मुताबिक साईं बाबा का जन्म 1830 के आसपास हुआ था।

साईं बाबा शिर्डी में एक सामान्य इंसान की तरह रहते थे, तथा उन्होंने अपना पूरा जीवन जनसेवा में ही बिताया। आज की तारीख में साईं बाबा के भक्त दुनियाभर में मौजूद हैं। साईं बाब के भक्त उनके चित्र और उनकी मूर्तियों को अपने घरों में रखकर पूजा करते हैं।

इस स्टोरी में हमने आपको जो तस्वीरें दिखाईं हैं, वो तकरीबन 100 साल पुरानी बताई जाती हैं। हांलाकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सकता है कि इन तस्वीरों को किसने खींचा है?

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