बता दें कि जापान, दक्षिण कोरिया, उत्तर कोरिया, चीन, वियतनाम, ताइवान, थाईलैंड, कंबोडिया, हांगकांग, मंगोलिया, तिब्बत, भूटान, मकाऊ, बर्मा, लागोस और श्रीलंका बौद्ध राष्ट्र हैं। वहीं भारत, नेपाल सहित दुनिया के अन्य देशों में भी बौद्धों की संख्या अच्छी खासी है। तो देर किस बात की, आइए जानते हैं बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध के बार में 10 प्रमुख बातें।

1- वैशाख पूर्णिमा के दिन बुद्ध का जन्म नेपाल के लुम्बिनी वन में ईसा पूर्व 563 को हुआ। इतना ही नहीं पूर्णिमा के दिन ही बुद्ध को बोधगया में एक वृक्ष के ‍नीचे सत्य का ज्ञान हुआ। इसके अलावा पूर्णिमा के दिन ही 80 वर्ष की आयु में कुशीनगर में निर्वाण प्राप्त किया।

2- बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था। सिद्धार्थ के पिता शुद्धोदन कपिलवस्तु के राजा थे और उनका सम्मान नेपाल ही नहीं समूचे भारत में था। सिद्धार्थ की मौसी गौतमी ने उनका लालन-पालन किया।

3- गौतम बुद्ध शाक्यवंशी छत्रिय थे। 16 वर्ष की उम्र में सिद्धार्थ का विवाह दंडपाणि शाक्य की कन्या यशोधरा के साथ हुआ। यशोधरा से उनको एक पुत्र मिला जिसका नाम राहुल रखा गया।

4- बुद्ध के जन्म के बाद एक भविष्यवक्ता ने राजा शुद्धोदन से कहा था कि यह बालक चक्रवर्ती सम्राट बनेगा। लेकिन यदि वैराग्य भाव उत्पन्न हुआ हो गया तो इसे बुद्ध होने से कोई नहीं रोक सकता और इसकी ख्‍याति समूचे संसार में अनंतकाल तक कायम रहेगी।

5- बोधी प्राप्ति की घटना ईसा से 528 वर्ष पूर्व की है जब सिद्धार्थ 35 वर्ष के थे। बिहार में बोधगया में आज भी वह वटवृक्ष विद्यमान है जिसे अब बोधीवृक्ष कहा जाता है।

6- कुछ लोग कहते हैं कि श्रीमद्भागवत महापुराण और विष्णुपुराण में हमें शाक्यों की वंशावली के बारे में उल्लेख पढ़ने को मिलता है। कहते हैं कि राम के 2 पुत्रों लव और कुश में से कुश का वंश ही आगे चल पाया। कुश के वंश में ही आगे चलकर शल्य हुए, जो कि कुश की 50वीं पीढ़ी में महाभारत काल में उपस्थित थे। इन्हीं शल्य की लगभग 25वीं पीढ़ी में ही गौतम बुद्ध हुए थे।

7- भगवान बुद्ध ने भिक्षुओं के आग्रह पर उन्हें वचन दिया था कि मैं मैत्रेय से पुन: जन्म लूंगा।

8- बुद्ध के प्रमुख गुरु गुरु विश्वामित्र, अलारा, कलम, उद्दाका रामापुत्त थे। बुद्ध के धर्म प्रचार से उनके भिक्षुओं की संख्या बढ़ने लगी तो भिक्षुओं के आग्रह पर बौद्ध संघ की स्थापना की गई।

9- शोध बताते हैं कि दुनिया में सर्वाधिक प्रवचन बुद्ध के ही रहे हैं। यह रिकॉर्ड है कि बुद्ध ने जितना कहा और जितना समझाया उतना किसी और ने नहीं।

10- पिछले कुछ वर्षों से अनेक बौद्ध राष्ट्रों के बौद्ध मठों में पश्चिमी जगत की तादाद बढ़ी है।

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