जब कोई अपराध करता है तो सजा के तौर पर उसे जेल में रहना पड़ता है। इस दौरान उसका सम्पर्क बाहरी दुनिया से भी टूट जाता है। जेल की चार दीवारी में रह कर उसका जीवन बेहद सीमित रहता है। लेकिन आपको इस बारे में जानकारी नहीं होगी कि उन्हें उनके हिसाब से कई सामान भी मिलते हैं और वो शॉपिंग भी कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें पैसे भी मिलते हैं। यह पैसे गांधी जी की फोटो छपे नोट नहीं होते हैं बल्कि जेल की अपनी ही ‘करेंसी’ होती है। इसके बारे में ही आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

जेल में भारतीय मुद्रा नहीं चलती है। यहाँ बाहर चलने वाली करंसी रखना एक जुर्म है। कैदी जेल में भारतीय करेंसी की जगह जेल के पैसे रख सकते हैं और उसकी भी एक लिमिट होती है। वाकई में ये कूपन होते हैं और सिनेमा की टिकट की तरह होते हैं और ये 1,2,5, 10, 20 के होते हैं।

जेल में एक सरकारी केंटीन होती है जिसमे डेली रूटीन के सामान मिलते हैं। ऐसे में इन कूपन का इस्तेमाल जेल की कैंटीन में किया जाता है। फिर कैदी यहाँ से अपनी जरूरत के हिसाब से साबुन, टूथपेस्ट, इनरवियर्स आदि खरीद सकते हैं।

ये कूपन दो तरह के होते हैं। कैदी के घर वाले जेल में पैसे जमा करवाते हैं और उनके आधार पर कैदी को पैसे मिल जाते हैं। इसके अलावा जब जेल में काम करते हैं तो जेल की ओर से काम के बदले मेहनताना दिया जाता है, तो वो भी कूपन के रूप में दिया जाता है।

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