कलियुग में हनुमानजी जागृत देव माना गया है। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि हनुमान जी चिरंजीवी हैं और उन्हें माता सीता से अमरत्व का वरदान प्राप्त है।
रामायण में यह उल्लेख मिलता है कि देवी सीता ने लंका की अशोक वाटिका में राम का संदेश सुनने के बाद हनुमान जी को अजर-अमर होने का आशीर्वाद दिया था। अजर-अमर से तात्पर्य है कि जिनको कभी ना ही मृत्यु का वरण करना होगा और ना ही कभी ये वृद्धावस्था को प्राप्त होंगे।

इसी कारण हनुमान जी को शक्ति का स्रोत माना गया है, क्योंकि चीरयुवा हैं। हिंदू धर्म में गणपति की महाराज की तरह हनुमान जी को भी सभी मनोकामना की पूर्ति करने वाला तथा संकट का नाश करने वाला देव माना जाता है।
वैसे तो हनुमान जी पूजा अर्चना करना हमेशा शुभ व फलदायी रहता है, लेकिन नवरात्रि के शुभ अवसर पर हनुमान जी की पूजा करना विशेष फलदायी होता है।
आज हम आपको हुनमान जी की पूजा-आराधना की वह विधि बताने जा रहे हैं, जिससे आप मुश्किलों से छुटकारा प्राप्त कर धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।

नवरात्रि में हनुमानजी की पूजा करने की विधि

नवरात्रि में मंगलवार अथवा शनिवार के दिन स्नान आदि करके हनुमान जी को लाल गुड़हल अथवा गुलाब के फूलोें की माला अर्पित करें। इसके बाद उन्हें सिंदूर चढ़ाएं एवं गुड़-चना या चिरोंजी या बूंदी के लड्डूओं का भोग लगाएं। तिल्ली या सरसों के तेल का दीपक जलाएं तथा धूपबत्ती प्रज्जवलित करें। हनुमान जी के समक्ष कुश या ऊन के लाल आसन पर बैठकर 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। कोशिश यह करें हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ एक बार में ही हो जाए। ध्यान रहे, नवरात्रि में सात्विक भोजन के साथ साथ ब्रहमचर्य का पालन करें। ऐसा करने से हनुमान जी अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करते हैं।

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