देश में आर्थराइटिस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर साल इस बीमारी के एक करोड़ से ज्यादा मामले सामने आते हैं। इस रोग की शुरुआत जोड़ों में दर्द और सूजन से होती है, धीरे-धीरे स्थिति बिगड़ती जाती है। इससे दर्द, सूजन, बेचैनी, जकड़न और प्रभावित जोड़ का धीरे-धीरे नुकसान होता है। इससे घूमना और सक्रिय होना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति आमतौर पर पैरों, हाथों, घुटनों, कूल्हों और पीठ के निचले हिस्से को प्रभावित करती है। डॉक्टरों के मुताबिक गठिया की समस्या कई तरह की होती है। इस रोग को आम बोलचाल में गठिया भी कहा जाता है।

गठिया के सबसे आम प्रकारों में ऑस्टियोआर्थराइटिस और रुमेटीइड गठिया शामिल हैं। ऑस्टियोआर्थराइटिस से जुड़े कुछ जोखिम कारकों में संक्रमण, चोट, उम्र, जीवनशैली शामिल हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, यह 22 से 29 प्रतिशत की व्यापकता के साथ देश में सबसे आम बीमारी है।

एक विशेषज्ञ के मुताबिक अलग-अलग तरह के आर्थराइटिस के अलग-अलग लक्षण होते हैं। जोड़ों में दर्द और सूजन, धीरे-धीरे हालत खराब करती जाती है। इससे दर्द, सूजन, बेचैनी, जकड़न और प्रभावित जोड़ का धीरे-धीरे नुकसान होता है। एक रिपोर्ट के अनुसार गठिया भारत में विकलांगता का चौथा सबसे आम कारण बनता जा रहा है।


खराब लाइफस्टाइल, खराब पोस्चर भी इस बीमारी का कारण बनते हैं। अगर आप दिन भर एक ही जगह काम करते हैं और पोस्चर सही नहीं है तो इससे जोड़ों पर दबाव बढ़ता है। ऐसे में अक्सर ब्लड सर्कुलेशन कम हो जाता है। जिससे मांसपेशियों में अकड़न की समस्या होने लगती है। गठिया शरीर के किसी भी हिस्से में जोड़ों और हड्डियों में दर्द पैदा कर सकता है।

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