इन दिनों हम सभी जानते हैं कि श्राद्ध चल रहा है। ऐसे में सभी को इस अवधि में 4 पवित्र उपयोगी मंत्रों का जाप करना चाहिए। जी हाँ, कहते हैं बिना मंत्रोच्चार के बिना धार्मिक कार्यों की सिद्धि नहीं हो सकती और श्राद्ध में भी इनका विशेष महत्व है. ऐसे में इसके श्लोक अनेक हैं और दो का उल्लेख ही पर्याप्त माना जाता है। ऐसे में इनमें से पहला है पुरुष सूक्त और दूसरा है पितृ सूक्त। वहीं यदि ये दोनों उपलब्ध न हों तो निम्न मंत्रों का प्रयोग कर कार्य पूर्ण किया जा सकता है। आइए जानते हैं इन दोनों मंत्रों के बारे में।

1. ॐ कुलदेवतायै नम: (21 बार).

2. ॐ कुलदैव्यै नम: (21 बार).

3. ॐ नागदेवतायै नम: (21 बार).

4. ॐ पितृ दैवतायै नम: (108 बार).

कहा जाता है कि इनके प्रयोग से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है। इसी के साथ ब्राह्मण भोजन के लिए ब्राह्मणों के चरण धोकर भोजन कराएं और पहले संकल्प लें और ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद दक्षिणा दें, वस्त्र दें. अब इसके बाद हो सके तो गौ-भूमि दान करें और यदि नहीं है तो गौ-भूमि के लिए धन दें। साथ ही इनका समाधान भी किया जा सकता है। इसी के साथ भविष्यपुराण में मुनि विश्वामृत का हवाला देते हुए 12 प्रकार के श्राद्धों का वर्णन किया गया है जो हम आपको बताने जा रहे हैं. ये नाम हैं नित्य श्राद्ध, नैमित्तिक श्राद्ध, काम्य श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध, वृद्धि श्राद्ध, श्राद्ध सपिंडन, प्रेत श्राद्ध etc.

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