मंदिर में भगवान की पूरी विधिवत पूजा की जाती है और कई चीजों को भी इस दौरान शामिल किया जाता है। इन चीजों में एक चीज शंख है। आपने देखा होगा कि पूजा होने के बाद शंख में पानी भर कर उसे छिड़का जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि भला ऐसा क्यों किया जाता है? इसी बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

जल के छिड़काव के फायदे

ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार शंख में पानी भरकर और फिर उस पर चंदन का टीका लगाकर छिड़क देने से वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है। इसलिए शंख में जलभकर हमेशा पूजा स्थल पर रखना चाहिए। इस से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है। भगवान विष्णु का आयुध होने के कारण यह अत्यंत मंगलकारी है।



शंख की ध्वनि के फायदे

शंख के जल के साथ शंख की ध्वनि से भी सात्विक ऊर्जा का संचार होता है। अगर घर में शंख बजाय जाए तो इस से कभी पैसों की कमी नहीं रहती। शंख की आवाज की कंपन्न सांस के रोगी के लिए बहुत लाभकारी होती है।

मां लक्ष्मी के भाई हैं शंख

समुद्र मंथन के दौरान 14 रत्नों में से एक शंख माता लक्ष्मी का सहोदर भाई है। इसलिए जहां शंख होता है वहां लक्ष्मी का वास जरूर होता है।

वैज्ञानिक कारण

वैज्ञानिकों का मानना है कि शंख के जल का पानी कभी खराब नहीं होता है। इस से कई जीवाणुओं का भी नाश होता है। शंख में जो गंधक, कैल्सियम और फास्फोरस की मात्रा पाई जाती है, उसके अंश जल में आ जाते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।

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