माता वैष्णो देवी जगत जननी और सबका पालन करने वाली हैं। उनके दर्शन मात्र से जीवन भर के पाप कट जाते हैं।जो भी उनके दरबार में झोली फैला कर आता है, उन्हें माँ कभी खाली हाथ नहीं जाने देती। माता के घर में जो मांगो, वह मिलता है। इसी कारण हर साल लाखों करोड़ों की संख्या में भक्त यहाँ आते हैं।

हर साल लाखों की संख्या में भक्त जन दुनिया के कोने-कोने से आकर माता वैष्णो के दर्शन करते हैं। अगर आपने वैष्णो देवी की दर्शन किए हो तो देखा होगा कि माता की गुफा के दर्शन करने पर उनके तीन स्वरूप दिखाई देते हैं। ये तीनों रूप पिंडी स्वरूप में हैं और सम्मिलित रूप से वैष्णवी के नाम से जाने जाते हैं। लेकिन जब मां एक ही है तो ये तीन स्वरूप क्यों है? इसी बारे में हम आपको जानकारी देने जा रहे हैं।

राज महिषासुर

यह तब की बात है जब दानव राज महिषासुर का पूरे ब्रह्मांड में आतंक था। सब देवता उस से हार चुके थे। भगवान शिव और ब्रह्मा जी के पास भी उसे खत्म करने का कोई भी उपाय नहीं था। ऐसे में सभी भगवान और देवता बैकुण्ठ पहुंचे और भगवान विष्णु से इस संकट का समाधान करने की प्रार्थना की।

भगवान विष्णु

भगवान विष्णु ने अपनी योग दृष्टि से इस बात को जान लिया था कि महिषासुर ने कठोर तप कर शिव जी से अमर होने का आशीर्वाद मांगा था। हालाकिं इस दुनिया का कोई जीव अमर नहीं हो सकता लेकिन शिव जी ने वरदान दिया था कि उसे मनुष्य, देवता, जानवर या किसी भी प्रजाति का नर कभी नहीं मार सकता। इसलिए वह अमर हो चूका था। उनके वरदान की काट केवल यही थी कि कोई स्त्री शक्ति उसका संहार करे।

सम्मिलित रूप से वैष्णवी कहलाईं

विष्णु भगवान के निर्देश पर सभी देवताओं ने स्तुति कर एक नारी को उत्पन्न किया और उसे कई शक्तियां दी। इसमें ब्रह्मा के अंश से महासरस्वती, विष्णु के अंश से महालक्ष्मी और शिव के अंश से महाकाली एकाकार हुईं और सम्मिलित रूप में ये वैष्णवी कहलाईं।

संसार को आतंक से मुक्त किया

माता वैष्णवी ने संसार को महिषासुर के आतंक से बचाने के लिए उस से युद्ध किया और उसे परास्त भी किया। देवी ने उसे मोक्ष की प्राप्ति करवाई। युद्ध के पश्चात माता वैष्णवी ने जम्मू के पास इस गुफा को अपना निवास स्थान चुना।

माता के तीन रूप

इस गुफा में वे अपने तीनों महारूपों में तीन पिंडियों के रूप में स्थापित हुईं। यही कारण है कि यहाँ वैष्णो देवी के तीन रूप दिखाई देते हैं।

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