हमारे समय में आज भी शुभ मौकों जैसे शादी, या फिर बच्चा होने पर किन्नर बधाई देने आते हैं। कहा जाता है कि किन्नरों के आशीर्वाद से इंसान हमेशा फलता फूलता है। इसलिए किन्नरों के आशीर्वाद को काफी ख़ास माना जाता है। लेकिन फिर भी समाज में इन किन्नरों को स्वीकार नहीं किया जाता है। ये समाज से अलग थलग हैं।

इनके रीती रिवाज और नियम भी हमसे अलग हैं।इनके रहन सहन से लेकर अंतिम संस्कार तक के नियम और कायदे अलग होते हैं। आज हम आपको किन्नरों के जीवन से जुड़े एक ऐसे ही राज के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल किन्नरों के अंतिम संस्कार को कोई नहीं देख सकता है? लेकिन इसके पीछे का कारण बहुत कम लोग जानते हैं।

किन्नरों के अंतिम संस्कार को आम आदमी क्यों नहीं देख सकता

किन्नरों की मृत्यु के बाद इनका अंतिम संस्कार आम आदमी से बिल्कुल अगल होता है। ज्यादातर धर्मों के लोगों का मरने के बाद अंतिम संस्कार दिन में किया जाता है और इसके विपरीत किन्नरों का अंतिम संस्कार रात के समय किया जाता है। इसके पीछे का कारण है कि कोई व्यक्ति इसे देख नहीं सके। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई किन्नर का अंतिम संस्कार देख लेता है तो वह किन्नर फिर से किन्नर के रूप में ही जन्म लेता है। किन्नर के अंतिम संस्कार के पहले मजूद सभी किन्नर मृत किन्नर की डेड बॉडी को जूते चप्पल से भी पीटते हैं।

वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उसके उस जन्म में किए सारे पापों का प्रायश्चित हो सके और वो किन्नर जैसी बदत्तर जिंदगी को झेलने के लिए फिर से इस रूप में जन्म ना ले। सभी समुदायों के अपने अलग रीती रिवाज और तौर तरीके होते हैं लेकिन किन्नरों का ये तरीका जरूर आश्चर्यचकित कर देने वाला है।

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