खरगोश बेहद ही खूबसूरत और चंचल जीव है। आपने भी खरगोश को जरूर देखा होगा। खरगोश को गाजर खाना सबसे अधिक पसंद होता है लेकिन आपको ये जानकारी नहीं होगी कि खरगोश अपना खुद का मल भी खाते हैं। इसके पीछे का कारण बेहद हैरान करने वाला हैं जिसके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

आपको इस बात को जानकार थोड़ा आश्चर्य होगा लेकिन बेहतर स्वास्थ्य के लिए वे अपना मॉल खाते हैं। खरगोश का पाचन तंत्र सही से विकसित नहीं होता है। इसलिए ये घास खा कर अपना जीवन बिताते हैं जिस से बहुत से जरूरी न्यूट्रिएंट्स बिना पचे ही बाहर निकल जाते हैं। ऐसे में खरगोश उसे फिर से खाकर अधिक से अधिक पोषक तत्व पचाते हैं।

खरगोशों के मल दो किस्म की होती है, पहला तरल और दूसरा सख्त। तरल मल को सीकोट्रोप कहा जाता है, जो पोषक तत्वों से भरपूर होती है। खरगोश इसे खाकर पोषक तत्वों को पचाते हैं और इसके बाद सख्त मल का त्याग करते हैं।

सीकोट्रोप यानी खरगोश के तरल मल में सख्त मल की तुलना में दोगुने पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें विटामिन के और विटामिन बी 12 होता है। अगर खरगोश सीकोट्रोप को नहीं खाएंगे, तो उनके शरीर से अधिकांश पोषक तत्व बिना पचे ही निकल जाएंगे। सीकोट्रोप यानी तरल मल का त्याग रात में ही करते हैं और उसी समय इसे खा भी लेते हैं। तरल मल को वो पूरी तरह से पचाकर सख्त मल की तरह बाहर निकालते हैं।

छोटे चूहों और गिनी पिग भी अपने मॉल को खाते हैं। वैसे धरती पर ऐसे भी कई जीव हैं, जो दूसरों का मल भी खाते हैं।

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