प्लेन में दोनों पायलटों को आखिर क्यों नहीं दिया जाता एक जैसा खाना, ये है खास वजह
आपने हवाई जहाज में सफर किया होगा या फिर हवाई जहाज को टीवी, फिल्मों आदि में देखा होगा। आज हम आपको उसी हवाई जहाज से जुड़े ऐसे रोचक तथ्य बताने जा रहे हैं जिन्हे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। हवाई जहाज का अविष्कार 1903 में राइट बंधुओं ने किया था। कुछ लोग इस को लेकर अलग राय रखते हैं और उनके अनुसार हवाई जहाज का अविष्कार 1895 में मुंबई के रहने वाले शिवकर बापूजी तलपड़े ने किया था।
हवाई यात्रा के दौरान लोग ज्यादा गैस छोड़ते हैं। इसलिए इस दुर्गंध को कम करने के लिए चारकोल फिलटर का इस्तेमाल किया जाता है।
हवाई सफर के दौरान हमारा खाने का स्वाद बदल जाता है। जो खाना हमें फ्लाइट के समय में मिलता है उसमे नमक ज्यादा होता है लेकिन वहां पर हवा का दवाब ज्यादा होने के कारण हमें इस बात का पता नहीं चलता।
साल 1987 में अमेरिका के एक व्यक्ति ने एक एयरलाइन को 69 लाख रुपये का प्लेन का लाइफ टाइम पास बनवा लिया था और साल 2008 तक उसने 10 हजार से अधिक बार प्लेन का सफर किया और इस से उस एयरलाइन कंपनी को एक अरब 42 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके बाद व्यक्ति का पास रद्द कर दिया गया।
हवाई जहाज में पायलट और को-पायलट को अलग-अलग तरह का खाना दिया जाता है। इसके पीछे एक खास कारण है। ऐसा इसलिए होता है जिस से दोनों एक जैसा खाना खा कर बीमार ना पड़ें। उदाहरण के लिए यदि एक पायलट खाना खा के बीमार पड़ गया है तो दूसरा उस स्थिति में प्लेन को संभाल सके और उड़ा सके।