आखिर क्यों पीरियड्स के दौरान मंदिर नहीं जाती लड़कियां, जानें यहाँ
इस बात से तो हर कोई भली-भांति वाकिफ है, कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं को हर शुभ कार्य करने की मनाही रहती है. यहां तक कि महिलाएं मंदिर भी नहीं जा पातीं. क्योंकि इन दिनों उन्हें अपवित्र माना जाता है. ये बात सिर्फ हिंदू धर्म तक हींं सीमित नहीं है, बल्कि सभी धर्मों में इससे जुड़ी दकियानुसी बातें जुड़ी हुई है.
आइए जानते हैं लडकियाँ पीरियड्स के दौरान मंदिर क्यों नहीं जाती –
दोस्तों, पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि जब युधिष्ठिर ने अपना सब कुछ जुए में गंवा दिया था, तो दुशासन द्रौपदी को लेने उनके कक्ष में गया. उन दिनों द्रोपति का मासिक धर्म चल रहा था जिस वजह से द्रौपदी अपने कक्ष में ना होकर एक अलग हीं कक्ष में रह रहींं थींं. और वो भी सिर्फ एक हीं वस्त्र पहन रहींं थींं. ये जानकारी इस बात को तो साबित कर देता है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अपवित्र माने जाने की प्रथा पौराणिक काल से हीं बदस्तूर चली आ रही है.
इंद्रदेव के पाप का प्रायश्चित है मासिक धर्म ?
ये एक बहुत हींं रोचक पौराणिक कथा है मासिक धर्म से जुड़ी हुई. भागवत कथा में बताया गया है कि एक बार देवताओं के गुरु भगवान बृहस्पति इंद्रदेव से काफी रुष्ट हो गए थे. और इसके बाद असुरों ने देवलोक पर हमला कर वहां अपना अधिपत्य जमा लिया. भगवान इंद्र को अपना राजपाट छोड़ना पड़ा. सहायता के लिए इंद्रदेव ब्रह्मा जी के पास गए. समाधान के रूप में ब्रह्मा जी ने भगवान इंद्र से कहा, कि उन्हें किसी एक ब्रह्मज्ञानी की सेवा करनी चाहिए, जिससे कि देवताओं के गुरु बृहस्पति प्रसन्न हो सके.
इंद्रदेव ने की ब्रह्म-हत्या
ब्रह्मा जी के कहने के अनुसार इंद्रदेव एक ब्रह्मज्ञानी की सेवा करने लगे. कहते हैं कि उस ब्रह्मज्ञानी की माताजी असुर थीं. इसी वजह से उनके मन में असुरों के लिए भी एक खास जगह थी. और कहते हैं कि हवन की जिस सामग्री को देवताओं को अर्पित की जाती है, वो ज्ञानी उसे असुरों को अर्पित करने में लगा हुआ था. इसे देखकर इंद्रदेव को काफी गुस्सा आया और उन्होंने गुस्से में आकर उस ब्रह्मज्ञानी की हत्या कर दी.
चुकी इंद्रदेव ने उस ब्रह्मज्ञानी को अपने गुरु के रुप में स्वीकार किया था, इसलिए उनके ऊपर ब्रह्म हत्या का पाप लगा. और एक राक्षसी के वेश में इंद्रदेव के पीछे पड़ गया. इस पाप से मुक्ति पाने के लिए इंद्रदेव ने खुद को एक फूल के अंदर छुपा लिया. और एक लाख साल तक विष्णुदेव की तपस्या करते रहे. भगवान विष्णु की कृपा पाकर उस राक्षसी से इंद्रदेव को मुक्ति मिल गई. लेकिन ब्रह्महत्या का पाप इंद्रदेव के सर पर अब भी था.
अपने इस पाप को मिटाने की खातिर और इंद्रलोक वापस पाने की खातिर इंद्र देव ने जल, पेड़, भूमि और स्त्री से पाप का थोड़ा-थोड़ा हिस्सा बांटने का अनुग्रह किया. जिसके लिए हर कोई तैयार हो गए. लेकिन हर किसी ने एक शर्त रखी कि इसके बदले उन्हें वरदान के रुप में भी कुछ मिलना चाहिए. सर्वप्रथम पेड़ों के राजा ने इंद्र देव के पाप से एक चौथाई भाग ले लिया. जिस वजह से पेड़ों के तने हमेशा रिश्ते रहते हैं. और पेड़ों को इंद्रदेव ने वरदान दिया कि पेड़ अपने-आप को दुबारा से जीवित कर पाने में समर्थ होंगे.
जल ने भी इंद्रदेव से पाप का कुछ हिस्सा लिया. इसी वजह से पानी के ऊपर जो झाग बनता है, उसे अपवित्र माना जाता है. भगवान इंद्र देव ने जल को वरदान दिया कि जल से हर एक चीज पवित्र हो जाएगी.
अब बारी थी धरती की. इंद्र के पाप को बांटने की वजह से हींं धरती के कई किससे बंजर हो गए. इंद्र देव ने वरदान दिया कि धरती पर किसी भी तरह की चोट हो वो हमेशा भर जाएगी.
अब बारी आई स्त्रियों की. इंद्र देव के बचे हुए पाप को लेने की वजह से हीं पश्चाताप के रूप में हर महीने महिलाओं को मासिक धर्म आता है. इसके बदले इंद्रदेव ने महिलाओं को ये वरदान दिया कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं हमेशा हींं काम का ज्यादा आनंद उठाएंगी. मतलब कि जिन दिनों महिलाएं मासिक धर्म में होती हैं उन दिनों वो ब्रह्म हत्या के पाप से गुजर रही होती हैं. चुकी गुरु की हत्या का पाप है. और गुरु के बिना भगवान का मिलना असंभव है. इसलिए स्त्रियों को पीरियड्स के दौरान मंदिर जाने की मनाही होती है.