चैटिंग करते समय हम सभी इमोजी का इस्तेमाल करते हैं। ये भाव व्यक्त करते हैं जिस से चैटिंग करते समय हमें हमारे इमोशन दिखाने में मदद मिलती है। लेकिन क्या आपने सोचा कि आखिर इन इमोजी का रंग पीला ही क्यों होता है? इसी बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

कैसे शुरू हुआ इमोजी का चलन?
इमोजी की शुरुआत साल 1963 से हुई थी। इनका इस्तेमाल किसी कंपनी के कर्मचारियों का मोराल बूस्ट करने के लिए किया गया था। उस समय स्टेट म्युचुअल लाइफ एश्योरेंस कंपनी को बेहद मुश्किल दौर से गुजरना पड़ रहा था। उस समय कंपनी ने कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए एक ग्राफिक डिजाइनर को हायर किया और उसने एक सिंबल बनाया। उसने सिंबल बनाया जो पीले रंग का था और फिर इस पर फेस बनाया। इससे कर्मचारियों पर काफी असर पड़ा और इसकी चर्चा होने लगी।

इसका मतलब है कि जब पहली बार इमोजी बनाया गया तब वह पीले रंग का था। ऐसे में माना जा सकता है कि इसकी शुरुआत ही पीले रंग के साथ हुई थी। दरअसल, पहले हैप्पी फेस के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब तो कई तरह की इमोजी बन चुकी हैं।

पीला ही क्यों?
इसके पीछे कई तर्क है। जिनमे से एक ये है कि फेस का पीला रंग इसलिए सलेक्ट किया गया है, क्योंकि यह रंगभेद से भरे है। यह गोरे और काले से अलग है। पीले रंग को हैप्पीनेस के साथ जोड़ा जाता है और सूरज के साथ जोड़ते हुए इसे खुशी का प्रतीक माना जाता है। ये पॉजिटिविटी भी बढ़ाता है।

जापान के डिजाइनर शिगेताका कुरीता ने इमोजी को डेवलप किया था उस समय उनकी उम्र 25 साल थी। साल 1999 में उन्होंने 176 सेट वाली इमोजी के तैयार की ये छोटे-छोटे डॉट के फॉर्म में थी। इन्हे बेहद ही ज्यादा पसंद किया गया। न्यूयॉर्क के म्यूजियम ऑफ मॉडर्न ऑर्ट में परमानेंट कलेक्शन के तौर पर सजाया गया। इमोजीपीडिया के फाउंडर जेरेमी बर्ग ने इस इवेंट को दुनिया के सामने लाने के लिए 17 जुलाई को वर्ल्ड इमोजी डे के रूप मनाने की घोषणा की पहला इमोजी डे 2014 में मनाया गया।

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