हम में से बहुत से लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता है कि लाश पानी के ऊपर क्यों और कैसे तैरती रहती है? जबकि कोई हल्का पत्थर आप पानी में फेंकेंगे तो वो डूब जाएगा। इसके पीछे ही एक विज्ञान है और इसी के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

फॉरेंसिक साइंस और उसके विशेषज्ञ इस सवाल का जवाब तीन प्रमुख बिंदुओं जैसे ‘बायोनसी’ या ‘उत्प्लावन’ प्रक्रिया, लाश में मौजूद टिशूज (ऊतक) में उत्पन्न होने वाली कई प्रकार की गैस और तीसरा घनत्व के आधार पर देते हैं। उत्प्लावन प्रक्रिया के अनुसार कोई भी पदार्थ तभी तक पानी पर तैर सकता है जब उसका घनत्व पानी से कम होगा। इसलिए लाश पहले पानी में ही डूबी रहती है और इसके बाद कुछ समय बाद ऊपर आ कर तैरने लगती है।

इसके बाद बात करें घनत्व की तो हमेशा पानी के घनत्व की तुलना में लाश का घनत्व ज्यादा होता है। लेकिन लाश में हड्डियां भी होती है। तीसरा, लाश के भीतर गैसों के बनने की प्रक्रिया शुरू होते ही, मृत शरीर का घनत्व कम होने लगता है और पानी का घनत्व उसकी तुलना में बढ़ने लगता है। इसलिए लाश तैरने लगती है।

जब भी कोई लाश पानी के संपर्क में आती है तो लाश के भीतर इन गैसों के बनने की गति पानी के तापमान पर काफी कुछ निर्भर करती है। ये गैस लाश के भीतर खरबों की संख्या में मौजूद टिशूज (ऊतक) में बननी शुरू होती हैं।”

गैसों के बनने की गति पानी के तापमान पर भी काफी कुछ हद तक निर्भर करती है। अगर लाश ठंडे पानी में है तो उसके शरीर के अंदर गैस देरी से बनने लगेगी। जबकि गरम पानी में गैस जल्दी उत्पन्न होती है।”

कितने घंटे में तैरने लगती है पानी पर लाश
फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट्स के अनुसार अगर लाश ठंडे पानी में है तो दो से ढाई दिन तक अंदर ही डूबी पड़ी रहेगी। वहीं अगर लाश गरम तापमान वाले पानी में डूबी लाश, 18 से 24 घंटे का अनुमानित समय पानी के अंदर रहेगी।

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