हिन्दू धर्म मानने वाली महिलाएं शादी के बाद अपने मांग में सिंदूर भरती हैं।सिंदूर को महिलाओं के सुहाग की निशानी माना जाता है। लेकिन आखिर सिंदूर भरने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है? इस बारे में आज हम आपको बताने जा रहे है। तो आइये जानते हैं विस्तार से।

1 .धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मांग में सिंदूर भरने से पति की आयु बढ़ती है और स्त्री के सौभाग्य में वृद्धि होती हैं।

2. मान्यताओं के अनुसार, यदि पत्नी के बीच मांग सिंदूर लगा है तो इस से पति की अकाल मृत्यु नहीं होती है। हिंदू धर्म में नवरात्र और दीवाली जैसे महत्वपूर्ण त्योहार के दौरान पति के द्वार अपनी पत्नी की मांग में सिंदूर लगाना काफी शुभ माना जाता है।

3 . सिंदूर माता लक्ष्मी के सम्मान का प्रतीक माना जाता हैं। इसलिए स्त्रियों को इसे अपनी मांग में लगाना चाहिए। इससे जीवन खुशहाल रहता हैं।

4. विवाहित महिलाओं द्वारा सिंदूर इसलिए भी लगाया जाता है क्योकिं इस से सुहागन स्त्री के सौन्दर्य में वृद्धि होती है। पौराणिक कथाओं में सिंदूर के लाल रंग के माध्यम से माता सती और पार्वती की ऊर्जा को व्यक्त किया गया है। इस से माता उन्हें अखंड सौभायवती होने का आशीर्वाद देती है।


4 .वैज्ञानिक कारणों के अनुसार सिंदूर में पारा धातु पाया जाता है, जिससे शरीर पर लगाने से विधुत ऊर्जा नियंत्रित होती हैं। इससे महिलाओं को नींद अच्छी आती हैं। इस से सिर दर्द जो समस्या में भी राहत मिलती है। इसके अलावा इसे लगाने से ब्रेन संबंधित बिमारी होने के चांस कम जाते हैं।

5 .सिंदूर में पारा होने से चेहरे पर जल्दी झुर्रियां भी नहीं पड़तीं यानी सिंदूर लगाने से महिलाओं के चेहरे पर बढ़ती उम्र के संकेत जल्दी नहीं दिखते हैं।


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