आपने अक्सर फिल्मों में देखा होगा कि फांसी की सजा सुनाने के बाद जज पेन की निब तोड़ देते हैं। तब आपके मन में भी ये सवाल आया होगा कि वे ऐसा क्यों करते हैं? क्या पेन की निब नहीं तोड़े बिना किसी अपराधी को फांसी की सजा का आदेश नहीं दिया जा सकता ?इसी बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

सबसे पहले हम आपको बता दें कि यह प्रचलन भारत में ही है। जब किसी मुजरिम को फांसी या मौत की सजा सुनाई जाती है तो उसके तुरंत बाद ही जज द्वारा पेन की निब तोड़ दी जाती है।

जिस व्यक्ति का अपराध जघन्यतम अपराध की श्रेणी में आता हो, उसे मौत की सजा दी जाती है। ऐसे मामले में सजा सुनाने के बाद जज अपने पेन की निब को तोड़ देते हैं। इस आशा में की दोबारा ऐसा अपराध न हो।

एक कारण यह भी माना जाता है कि इस सजा के बाद किसी व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है, इसलिए ये सजा सुनाने के बाद पेन की निब तोड़ दी जाती है, ताकि पेन का भी जीवन समाप्त हो जाए और इसके बाद पेन द्वारा कुछ भी और लिखा न जा सके।

इसके अलावा ये भी मानते हैं कि फैसले के बाद पेन की निब तोड़ी जा चुकी है, तो खुद उस जज को भी यह अधिकार नहीं होता है की वो दोबारा उस फैसले को बदलने के बारे में सोच सके।

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