भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई देशों में भगवान शिव की पूजा की जाती है। लेकिन कमलनाथ महादेव मंदिर का अपने एक एतिहासिक महत्व है। रामायण के अनुसार यहाँ पर लंकेश्वर रावण ने भगवान शिव की तपस्या की थी उनकी आराधना करते हुए रावण को 108 कमल के फूल अर्पण करने थे।

देवतागण नहीं चाहते थे कि रावण की तपस्या पूर्ण हो, इसलिए देवतानगणों ने एक कमल का फूल उनमे से गायब कर लिया। जब दशानन ने सभी पुष्प भोलेनाथ को अर्पित किये तो इनमें से एक पुष्प गायब था। लेकिन वह नहीं चाहता था कि भगवान शिव की आराधना में किसी भी तरह की कोई अर्चन आए इसलिए उसने अपना खुद का शीष काट कर भगवान शिव को अर्पण कर दिया। रावण के इस समर्पण को देखकर महादेव अति प्रसन्न हुए और उन्होंने रावण को ब्रह्मज्ञान प्रदान किया।

रावण को भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त माना जाता है। आज भी कमलनाथ महादेव मंदिर राजस्थान के उदयपुर में स्थित है। यहाँ पर भगवान शिव की प्रतिमा के साथ रावण की भी प्रतिमा है। प्रतिवर्ष हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ दर्शन के लिए आते हैं और भगवान शिव के साथ रावण की प्रतिमा पर भी कमल के फूल चढ़ाते हैं। इस जगह का ऐतिहासिक महत्व भी है क्योकिं हल्दीघाटी के युद्ध से पहले यही स्थान शूरवीर महाराणा प्रताप का आश्रय स्थल बना था।

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