शनिदेव को शनिवार का दिन समर्पित होता है। उन्हें तेल चढ़ाने के साथ साथ काले रंग की वस्तुएं जैसे काले तिल, काली दाल, लोहा और काले वस्त्र भी अर्पित किए जाते हैं। इस से आपके मन में ये सवाल जरूर आया होगा कि शनिदेव को काली वस्तुएं क्यों पसंद है? इसी बारे में जानकरी हम आपको देने जा रहे हैं।पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्य का विवाह दक्ष प्रजापति की पुत्री संध्या से हुआ था। संध्या से ही सूर्यदेव को मनु, यमराज और यमुना नामक संतानें प्राप्त हुईं। सूर्य बेहद ही तेजस्वी थी इसी कारण संध्या उनके ताप को सहन नहीं कर पाती थी और उसे बेहद ही कठिनाई होती थी। इसलिए उन्होंने अपनी ही एक और प्रतिरूप छाया को बना दिया और स्वयं सूर्य लोक से अपने घर के लिए प्रस्थान कर गईं। छाया को देखकर सूर्यदेव उन्हें संध्या समझ बैठे।


कुछ समय बाद छाया गर्भवती हो गई। गर्भ धारण के समय से ही वे भगवान शिव की तपस्या करती थी। इसलिए वह खुद पर ध्यान नहीं दे पाती थी। कुछ समय बाद उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका रंग बेहद काला था और वो कमजोर भी था। काले पुत्र को देखकर सूर्यदेव ने उन्हें अपनी संतान मानने से इनकार कर दिया ये सुन कर शनिदेव को बहुत दुःख हुआ और क्रोध भी आया।

गर्भावस्था के दौरान छाया ने शिव की कठोर तपस्या की थी इसलिए उन्हें गर्भ में ही बेहद शक्तियां मिल गई थी। इस कारण उन्होंने सूर्यदेव को क्रोध से देखा तो सूर्यदेव का वर्ण भी काला हो गया और वे कुष्ठ रोग से ग्रसित हो गए। फिर सूर्य देव को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने माफ़ी मांगी। इसके बाद उन्होंने शनि देव को सभी ग्रहों में शक्तिशाली होने का वर दिया।शनिदेव को काला रंग होने के कारण ही सूर्य देव ने नकारा था, इसलिए शनिदेव ने इस रंग को ही अपना प्रिय बना लिया। इसलिए उन्हें आज भी काली वस्तुएं समर्पित की जाती है जो उन्हें बेहद पसंद भी होती है।

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