दोस्तों, हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में हनुमान जी और वानर राज बालि के बीच हुए युद्ध का रोचक प्रसंग मिलता है। इस रोचक प्रसंग से हमें यह सीख मिलती है कि दुनिया में चाहे कोई कितना ताकतवर अथवा धनवान बन जाए, उसे घमंड बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। आइए जानें कि हनुमान जी और बालि के बीच हुए युद्ध में किसकी जीत हुई।

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, वानर राज बालि को यह वरदान था कि जो भी उससे युद्ध करने के लिए उसके सामने आएगा, उसकी आधी ताकत राजा बालि में समा जाएगी। इस वरदान की बदौलत उसने धरती के बड़े-बड़े योद्धाओं को धूल चटाई थी। यहां तक कि लंका के राजा रावण को अपनी पूंछ में बांधकर वह छह महीने तक पृथ्वी की चक्कर लगाता रहा था।

शक्ति के मद में चूर वानर राज बालि धरती के समस्त योद्धाओं को चुनौती देने के लिए घूम रहा था। एक दिन वह वन में जाकर चिल्लाने लगा कि कौन है जो मुझे हरा सकता है। जिसने भी मां का दूध पिया है, वह मुझसे मुकाबला करे।

उसी वन में हनुमान जी राम नाम का जाप कर रहे थे। बालि के जोर-जोर से चिल्लाने पर उनकी तपस्या में व्यवधान उत्पन्न हुआ। हनुमान जी ने कहा- वानर राज आप अति बलशाली हैं, आपको कोई हरा नहीं सकता है। लेकिन आप इतना शोर क्यों मचा रहे हैं।

इस बात पर वानर राज बालि भड़क गया और उसने कहा कि तुम क्या, तुम्हारे राम भी मुझे हरा नहीं सकते। ताकत है तो बुलाओ अपने राम को। राजा बालि को राम का परिहास करते देख हनुमान जी को क्रोध आ गया। उन्होंने बालि की चुनौती स्वीकार कर ली और अब सूर्योदय होते ही इनके बीच दंगल होना सुनिश्चित हुआ।

हनुमान जी जैसे ही राजा बालि से कुश्ती के लिए निकले तभी ब्रह्माजी प्रकट हुए। उन्होंने हनुमान जी से राजा बालि से युद्ध नहीं करने की सलाह दी। इस बात पर हनुमान जी ने कहा कि प्रभु! वह मुझे युद्ध की चुनौती दे रहा था, तब तक तो ठीक था। अब उसने मेरे भगवान राम को चुनौती दी है। इसलिए उसे सबक सीखा कर ही रहूंगा।

जब ब्रह्माजी ने हनुमान को दोबारा समझाने की कोशिश की तो वह बोले- परमपिता, अगर अब मैं युद्ध से पीछे हट गया तो दुनिया क्या कहेगी? इस पर ब्रह्माजी ने कहा- ठीक है, लेकिन अपने बल का केवल 10वां हिस्सा लेकर ही युद्ध के लिए जाना। दंगल के मैदान में हनुमान जी के कदम रखते ही वरदान के मुताबिक, बालि के शरीर में जबरदस्त हलचल शुरू हुई। कुछ ही क्षणों में बालि को लगा कि उसके शरीर की नसें फट जाएंगी, इसके बाद उसके शरीर से रक्त बाहर निकलने लगा।

तभी ब्रह्माजी प्रकट हुए और उन्होंने वानर राज बालि से कहा कि तुम अभी हनुमान के बल का एक छोटा हिस्सा सहन नहीं कर पा रहे हो। अगर ​खुद को जिंदा रखना चाहते हो तो हनुमान से बहुत दूर भाग जाओ। बालि ने ऐसा ही किया, उसे बाद में यह अहसास हुआ कि वह तो हनुमान जी के एक बाल के बराबर भी नहीं है।

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