इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ("ईवीएम") 1999 के चुनावों से भारतीय जनरल और राज्य चुनावों में इस्तेमाल हो रही है। इसके माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग करवाई जाती है। ईवीएम ने भारत में स्थानीय, राज्य और सामान्य (संसदीय) चुनावों में पेपर मतपत्रों का स्थान लिया है। हालांकि बहुत से लोग ईवीएम की सत्यता पर सवाल उठाते हैं जो कि कभी सिद्ध नही हुए है। दिल्ली उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों और विभिन्न राजनीतिक दलों से मांग के बाद, चुनाव आयोग ने मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) प्रणाली के साथ ईवीएम लागू करने का फैसला किया।
आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं


ईवीएम की फुलफॉर्म इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन होती है। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि इसके माध्यम से वोटों की गिनती होती है। इसकी दो यूनिट होती है पहला कंट्रोल यूनिट जो इस पूरे सिस्टम को कण्ट्रोल करता है और दूसरा बैलेटिंग यूनिट होता है। जो 5 मीटर की केबल द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं।

पहले EVM की जगह पेपर्स का इस्तेमाल होता था। इसके साथ खर्चा भी काफी अधिक होता था लेकिन इस खर्चे को कम करने के लिए और समय बचाने के लिए EVM मशीन की खोज की गयी।

EVM मशीन कहाँ बनता है

भारत में EVM मशीन दो जगहों पर बनाई जाती है। पहला इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड हैदराबाद और दूसरी जगह भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बेंगलोर है।
EVM मशीन बैटरी से चलती है इसलिए इसका इस्तेमाल वहां भी किया जा सकता है जिन इलाकों में बिजली नहीं है। इसके अलावा EVM मशीन का फायदा पर्यावरण को भी होता है क्योंकि इसके जरिये वोटिंग में प्रयोग होने वाले कागज की बड़ी मात्रा में बचत होती है।

EVM मशीन की कीमत कितनी होती है
शुरुआत में मतलब 1989-90 में EVM की कीमत 5500 रूपये थी। इसमें एक कंट्रोल यूनिट, एक बैलेटिंग यूनिट और बैटरी भी शामिल है। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं और वर्तमान में भारत में दो तरह की EVM मशीन है। पहली M2 और दूसरी M3 है।

M2 EVM को साल 2006 और 2010 के बीच बनाया गया था। तब इनकी प्राइस 8 हजार से 9 हजार रूपये के बीच हुआ करती थी। वर्तमान में उपयोग की जा रही है उस EVM की कीमत 17 से 18 हजार के बीच है।

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