भारत में रक्षा बंधन का पर्व बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मान्य जाता है। ये पर्व भाई और बहन के प्यार को दर्शाता है। वैसे हमेसा मन में एक सवाल आता है, रक्षाबंधन की शुरुआत कब, कहाँ, कैसे और किसके द्वारा हुई यह बात बहुत कम लोग जानते है। शास्त्रों में मान्यताओं और कथाओं के अनुसार रक्षाबंधन से जुड़ी कई अनोखी कहानियां है, जिससे रक्षाबंधन की शुरुआत होने की बात कही जाती है। तो आइये जानते है रक्षाबंधन की शुरुआत कैसे हुई।


कथा के अनुसार भगवान विष्णु के वामन अवतार में जब राजा बलि के दान से खुश होकर विष्णु ने राजबली से वरदान मांगने को कहा, तब राजा बलि ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल लोक में साथ रहने को कहा। भगवन विष्णु बलि के संग पाताल लोक रहने चले गए। इससे लक्ष्मी देवी दुःखी और परेशान हो गई और रूप बदल कर राजा बलि के पास जा पहुंची।


राजा बलि के सामने जाकर रोने लगी और जब बलि ने उसके रोने का कारण पूछा तब लक्ष्मी देवी ने अपने कोई भाई ना होने की बात कही। इस तरह राजा बलि लक्ष्मी माता के भाई बनकर उसकी वह इच्छा पूरी की। जब लक्ष्मी माता ने राजा बलि को राखी बाँधी तब राजा बलि ने अपनी बहन को उपहार मांगे को कहा। तब माता लक्ष्मी ने उपहार में अपने पति भगवान विष्णु को माँगा और पाताल लोक छोड़ कर अपने साथ जाने की बात कही.
राजा बलि वचनबद्ध थे इसलिए बहन की इच्छा पूरी की और भगवान विष्णु को लक्ष्मी के साथ जाने दिया।

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