भारतीय थाली बिना अचार और चटनी के बिना वास्तव में अधूरी लगती है। भोजन की थाली में जब तक अचार और चटनी ना हो, खाने में मजा ही नहीं आता है। लेकिन कई लोग अचार या चटनी से परहेज भी करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि अचार और चटनी का सेवन स्वास्थ्य के हिसाब से ठीक नहीं है। इनमें से कई लोग तेज मसाला, खट्टेपन और तेल की वजह से अचार और चटनी से दूरी बना लेते हैं।

जबकि सेल‍िब्रेटी न्‍यूट्रिशन‍िस्‍ट रुजुता दिवेकर कहते हैं कि हम सभी को रोज थोड़ी मात्रा में अचार या चटनी में से किसी एक का सेवन जरूर करना चा​हिए। एक्‍सपर्ट की मानें तो अचार में जब तेल और नमक मिलाते हैं, तब उनमें मौजूद अच्छे बैक्‍टीरिया को पनपने का मौका मिलता है। इससे हमारी आंतों को फायदा पहुंचता है। अचार में मौजूद नमक पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है। अचार में मिश्रित तेल भी फायदेमंद होता है।

अचार में मौजूद उपयोगी तत्व

बता दें कि अचार में सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए अचार में विटामिन ए, सी, बी12, फॉलेट और एंटी ऑक्सिडेंट मौजूद होते हैं। ये गैस, पेट की गड़बड़ी और एनीमिया में राहत देते हैं। जाहिर है, अचार सेहत के लिए नुकसानदेह नहीं बल्कि फायदेमंद होते हैं।

चटनी है कितनी फायदेमंद?


लहसुन, अदरक, प्‍याज, धनिया जैसी ताजी जड़ों और पत्तियों का इस्‍तेमाल कर चटनी बनाई जाती है। चटनी में यो तो तेल डाला ही नहीं जाता है अथवा बहुत कम तेल डाला जाता है। इसलिए चटनी फैट फ्री होती है। चूंकि चटनी में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो कि आपको गंभीर बीमारियों से बचाते हैं। यही वजह है कि सामान्यतया भारत के हर घरों में खाने के साथ चटनी जरूर बनाई जाती है।

जानिए कितना करें अचार अथवा चटनी का सेवन?


यह सच है कि किसी भी चीज की अधिकता नुकसानदेह साबित होती है। ठीक वैसे ही अचार हो या फिर चटनी खाने में कोई समस्या नहीं है लेकिन इनका ज्यादा सेवन करना नुकसानदायक साबित हो सकता है। चटनी अथवा अचार बनाते समय ज्यादा मात्रा में तेल अथवा नमक डालने से बचें।

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