अगले दो साल मतलब 2022 से 2024 के दौरान देश में बिजली की खपत में जबरदस्त इजाफा हो सकता है। अनुमान इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी यानी आईईए की एक रिपोर्ट में जारी किया गया है। आगे चलकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार अच्छी हो सकती है। आईईए के अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2022-24 के दौरान भारत में बिजली की मांग में वृद्धि लगभग 6.5 प्रतिशत हो सकती है। यह प्री-कोरोना युग की मांग से कहीं अधिक है। कोरोना से पहले के पांच वर्षों में बिजली की मांग में वृद्धि 3 से 6 प्रतिशत के बीच रही है।

घरेलू और औद्योगिक क्षेत्रों की खपत बढ़ने से बिजली की मांग काफी अच्छी होगी। वर्ष 2021 में कोरोना संकट के दौरान भारत में बिजली की मांग में 10 प्रतिशत की शानदार वृद्धि हुई है। मामले में भारत ने चीन से बराबरी कर ली है. 2022 से 2024 तक देश में बिजली की खपत में बढ़ोतरी हो सकती है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी की एक रिपोर्ट में जारी किया गया है। यह संकेत है कि अर्थव्यवस्था की गति अच्छी हो सकती है।

2021 की चौथी तिमाही यानी अक्टूबर की शुरुआत में कोयले की अस्थायी कमी का क्या असर हुआ। अप्रैल और मई 2021 में कोरोना की लहर के चलते बिजली की मांग में 7 फीसदी की कमी आई थी. मगर जून में इसने फिर रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी। जुलाई और अगस्त में इसने ऊंचाई का नया कीर्तिमान स्थापित किया। इससे कोयले की किल्लत का ज्यादा असर नहीं हुआ और सालाना ग्रोथ करीब 10 फीसदी रही।

बिजली की खपत में वृद्धि अर्थव्यवस्था की प्रगति को इंगित करती है। खपत में वृद्धि का एक मुख्य कारण यह है कि अब देश के लगभग सभी घरों में बिजली की पहुंच है। मेक इन इंडिया पर जोर देने से स्थानीय विनिर्माण को और बढ़ावा मिलेगा और जिससे औद्योगिक क्षेत्र में बिजली की खपत बढ़ेगी। जिसके अलावा देश में इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर दिया जा रहा है। जिससे आगे चलकर बिजली की मांग को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

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