रामायण की यह कथा सभी जानते हैं कि रावण द्वारा सीता हरण के पश्चात श्रीराम ने लंका पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध में श्रीराम के हाथों रावण मारा गया। लेकिन कभी आपने सोचा है कि रावण की मृत्यु के पश्चात उसकी पत्नी मंदोदरी का क्या हुआ? जी हां, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।

रामायण के मुताबिक, मंदोदरी अति सुंदर, धार्मिक तथा एक आदर्श नारी थी। जब रावण पत्नी मंदोदरी की सलाह मानता रहा, तब तक कोई भी उसका अनिष्ट नहीं कर सका। मंदोदरी ने रावण को यह खूब समझाया था कि सीता एक पतिव्रता नारी है, उन्हें सम्मान सहित श्रीराम के पास वापस लौटा दीजिए। मंदोदरी ने यह भी कहा था कि श्रीराम से युद्ध करने पर लंका सहित सभी राक्षसों का विनाश हो जाएगा। लेकिन अहंकारी रावण ने मंदोदरी की बात नहीं मानी। परिणाम क्या हुआ यह सभी जानते हैं। रावण की मृत्यु के पश्चात मंदोदरी से जुड़ी रोचक कथा के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

किवदंतियों के मुताबिक, देवी पार्वती की अनुपस्थिति में मधुरा नाम की एक अप्सरा कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव को आकर्षित करने का प्रयास करने लगी। जब देवी पार्वती कैलाश पहुंची तो वहां मधुरा को उपस्थित देखकर बहुत क्रोधित हुईं तथा उन्होंने उसे श्राप दिया कि वह अगले 12 वर्षों तक कुएं में मेंढक के रूप में रहेगी। भगवान शिव के अनुरोध पर माता पार्वती ने कहा कि वह 12 साल की कठोर तपस्या के बाद अपने मूल स्वरूप में वापस आ जाएगी।

कथा के मुताबिक असुरों के देवता, मयासुर और उनकी अप्सरा पत्नी हेमा के दो पुत्र थे, लेकिन वह एक पुत्री की चाह में कठोर तप कर रहे थे। 12 वर्ष के पश्चात जब मधुरा अपने मूल स्वरूप को प्राप्त हुई तो वह कुएं से बाहर आने के लिए मदद की गुहार लगाने लगी। वहीं निकट तपस्या कर रहे मयासुर और हेमा ने कुंए से मुधरा को बचा लिया। इसके बाद मधुरा को उन्होंने गोद ले लिया और उसका नाम मंदोदरी रखा।

एक बार राक्षसों का राजा जब मयासुर के महल में आया, तब वहां मंदोदरी को देखकर उस पर मोहित हो गया। रावण ने मयासुर से मंदोदरी का हाथ मांगा लेकिन मयासुरा ने इनकार कर दिया। अंत में रावण की शिवभक्ति और उसके ब्राम्हण होने की वजह से मंदोदरी ने रावण से शादी के लिए हां कर दी।

दीर्घकाल के पश्चात श्रीराम ने रावण का वध कर दिया। इसके बाद राम ने रावण के छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा ​बना दिया। अद्भुत रामायण के अनुसार विभीषण के राज्याभिषेक के बाद प्रभु श्रीराम ने बहुत ही विनम्रता से मंदोदरी के समक्ष विभीषण से विवाह करने का प्रस्ताव रखा, साथ ही उन्होंने मंदोदरी को यह भी याद दिलाया कि वह अभी लंका की महारानी हैं। कहते हैं कि उस वक्त तो उन्होंने इस प्रस्ताव पर कोई उत्तर नहीं दिया।

जब प्रभु श्रीराम अपनी पत्नीं सीता और लक्ष्मण के साथ वापस अयोध्या लौट गए तब मंदोदरी ने खुद को महल में कैद कर लिया था। लेकिन कुछ समय बाद वह पुन: अपने महल से निकली और विभीषण से विवाह करने के लिए तैयार हो गई। रामायण में ऐसे ही कई अजीब किस्से हैं। यह भी सोचने में आता है कि कुछ समाजों में प्राचीन काल में ऐसा ही प्रचलन था। सुग्रीव ने भी बालि के मारे जाने के बाद उसकी पत्नी तारा से विवाह कर लिया था।

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