वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद ने केरल उच्च न्यायालय के आदेश के बाद पेट्रोल और डीजल को GST के अंतर्गत शामिल करने के विषय पर चर्चा की गई। अदालत के निर्देश पर इसे पेश किया गया था, लेकिन सदस्यों ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि वे नहीं चाहते कि पेट्रोल डीजल को जीएसटी में शामिल किया जाए।

उन्होंने कहा, "यह उच्च न्यायालय को सूचित किया जाएगा क्योंकि जीएसटी परिषद ने महसूस किया कि यह पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने का सहीसमय नहीं है।"

जून में केरल उच्च न्यायालय ने एक रिट याचिका के आधार पर जीएसटी परिषद से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर फैसला करने को कहा था। मंत्री ने यह भी घोषणा की कि डीजल (तेल विपणन कंपनियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले) के साथ मिश्रण के लिए बायो-डीजल पर जीएसटी दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई है।

वित्त मंत्री ने कहा कि परिषद ने कोविड​​​​-19 उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं पर रियायती जीएसटी दरों को भी 31 दिसंबर तक बढ़ा दिया है।

उन्होंने आगे कहा कि ज़ोमैटो और स्विगी जैसे ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप को उस रेस्तरां के बजाय जीएसटी का भुगतान उस से करना होगा जिस से वे ऑर्डर ले रहे हैं। जिसका सीधा अर्थ है कि अब ग्राहक ही टैक्स पे करेंगे। हालांकि, परिषद ने कहा कि कोई नया कर नहीं है।

राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा "मान लीजिए कि आप एग्रीगेटर से खाना मंगवाते हैं और रेस्तरां टैक्स दे रहा है। हमने पाया कि कुछ रेस्तरां टैक्स नहीं दे रहे थे। अब हम कह रहे हैं कि अगर आप एग्रीगेटर के जरिए ऑर्डर करते हैं, तो एग्रीगेटर उपभोक्ता से टैक्स वसूल करेगा और रेस्टोरेंट के बजाय अधिकारियों को भुगतान करेगा। यह। कोई नया कर नहीं है।"

लगभग 20 महीनों में यह पहली ऑन-ग्राउंड जीएसटी परिषद की बैठक है। आखिरी बैठक 2019 में कोविड महामारी से पहले हुई थी।

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