विटामिन डी धूप से मिलता है, लेकिन अब जिस तरह का माहौल बनता जा रहा है, खास तौर पर शहरी क्षेत्रों में जहां प्रदूषण काफी ज्‍यादा है, जहां धूप नहीं आती, लोग घरों से ज्‍यादा बाहर भी नहीं निकलते, लोग सुबह ही ऑफ‍िस निकल जाते हैं और रात को घर आते हैं, उन्‍हें ठीक से विटामिन डी नहीं मिल पाता.

कोरोना में मुख्‍य समस्‍या फेफड़ों को होती है. निमोनिया हो जाता है या फेफड़ें खराब हो जाते हैं. सांस लेने में दिक्‍कत और जान को खतरा भी हो जाता है. इसलिए इन सब चीजों से बचने के लिए अगर विटामीन डी शरीर में अच्‍छा होता है तो वह लंग्‍स में ऐसे रिसेप्‍टर्स को आक्‍यूपाई कर लेता है, जिसमें वायरस के आने पर वह फेफड़ों में समाने की बजाय वापस हो जाता है. इस तरह लंग्‍स को सुरक्षित करने में इसकी बड़ी भूमिका है.

विटामिन डी एक फैट सॉल्युबल विटामिन है. इस समय इसकी रिकमेंडिड डेली डोज 2000 इंटरनेशनल यूनिट है. यह हमें हमारी डाइट और एक्‍सरसाइज से मिल सकती है. इसके अलावा जरूरत पड़ने पर यह हमें अलग से भी लेनी पड़ेगी. यह इस पर भी डिपेंड करता है कि व्‍यक्ति में विटामिन डी की कितनी कमी है.

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