जानिए ; इस लिए किया जाता है विजया एकादशी का व्रत
फाल्गुन मास शुरू हो चूका है। इस महीने में कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस महीने की एकादशी का व्रत करता है, उसे हमेशा - हर काम में विजय प्राप्त करता है। शास्त्रों के अनुसार प्राचीन काल में राजा - महाराजा इस व्रत के प्रभाव से अपनी निश्चित हार को भी जीत में बदल चुके है। इस बार ये व्रत शुक्रवार , 2 मार्च को किया जा रहा है। हिन्दू धर्म के अनुसार कहा जाता है कि भगवान राम ने भी रावण से युद्ध करने से पहले इस व्रत को किया था। तो चलिए जानते है कि इस व्रत को कैसे किया जाता है और क्या है इसके पीछे की कहानी।
क्या है इस व्रत का रहस्य -
हिन्दू धर्म के अनुसार इस व्रत का रहस्य पद्म पुराण और स्कन्द पुराण में वर्णन मिलता है। माना जाता है कि जब तक शत्रुओं से घिरा हो तब विकट से संकट की परिस्थिति में विजया एकादशी के व्रत से जीत सुनिश्चित प्राप्त की जा सकती है। पुराण के अनुसार विजया एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए किया जाता है। जैसे कि इसके नाम से ही पहचान है विजया एकादशी कि इस व्रत को करने से शुभ फलों में वृद्धि तथा अशुभता का नाश होता है।
ऋषियों ने भगवान राम को भी यही व्रत करने की सलाह दी थी जब रावण से युद्ध करने के लिए भगवान राम जा रहे थे तब साथ ही बताया था कि प्रत्येक शुभ कार्य को शुरु करने से पहले यह व्रत किया जाता है और इस व्रत को करने से कार्यसिद्धि की प्राप्ति होने के साथ सभी कार्य सिद्ध होते है। इसलिए भगवान राम ने भी विजय पाने के लिए इस व्रत को पूरी सैना के साथ किया था।
ऐसे करें इस व्रत को -
जैसे कि हम जानते है कि विजया एकादशी के व्रत से भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस दिन अपने घर - परिवार के साथ घर में भगवान विष्णु की प्रतिमा को घर में विराजमान करके विधि पूर्वक उनकी पूजा करनी चाहिए।
- सबसे पहले की प्रतिमा को दूध - दही और शहद से स्नान कराये।
- अब उनकी प्रतिमा को लाल रंग की गदी पर वीरमण कराए उस पर धूम, दीप, पुष्प, चंदन, फूल, तुलसी चढ़ाए।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा के पास अब दीपक जला कर उनकी कथा करें।
- जिससे आपके घर में नकारात्मक दोषों का नाश होकर और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
- इसके साथ ही भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी रखना ना भूलें , तुलसी को आवश्यक रूप से पूजन में शामिल करें।
- व्रत में पुरे दिन भगवान विष्णु का मन्त्र और उच्चारण करें।