वास्तु शास्त्र में आज चर्चा करेंगे प्रसाद या नैवेद्द के वास्तु की। हर घर में समय - समय देवी - देवताओं को प्रसाद चढ़ाया जाता है लेकिन सवाल ये उठता है कि इस प्रसाद का क्या करना चाहिए इस लेख के माध्यम से जानेंगे की इस प्रसाद को खाना चाहिए, फेकना चाहिए, पड़ा रहने देना चाहिए, किस बर्तन में प्रसाद चढ़ाना चाहिए? क्या आप जानते है कि इसका भी घर पर सीधा प्रभाव पड़ता है।

भारतीय संस्कृति में वास्तु का बहुत महत्व है। वास्तु शास्त्र के अनुसार नैवेद्द को धातु यानी सोने, चांदी या तांबे के, पत्थर, यज्ञीय लकड़ी या मिट्टी के पात्र में चढ़ाना चाहिए। वास्तु शास्त्र में बताया गया है की चढ़ाया हुआ नैवेद्द तत्काल निर्माल्य हो जाता है और उसे तुरंत उठा लेना चाहिए।

प्रसाद को खाना चाहिए और यथा संभव बांटना भी चाहिए। वास्तु शास्त्र में बताया गया है कि देवता के पास पड़ा हुआ नैवेद्द या प्रसाद निगेटिव एनर्जी छोड़ता है। देवता को समर्पित करके प्रसाद को तुरंत उठा लेना चाहिए। ऐसा न करने पर विश्व्क्सेन, चंडेश्वर, चन्डान्शु और चांडाली नामक शक्तियों के आने की बात कही गई है।

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