वास्तु शास्त्र हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, जिसका प्राचीन विज्ञान आपके जीवन से नकारात्मकता को दूर करता हैं और सकारात्मकता आपके जीवन में लाता हैं, इसके सिद्धांत हमारे घरों में वस्तुओं की व्यवस्था से लेकर कमरों की दिशा तक सब कुछ निर्देशित करते हैं, लेकिन अगर हम बात करें झाड़ू की तो इसे सही दिशा में रखना आवश्यक हैं, अगर ऐसा नहीं किया जाएं आपके भाग्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं, आइए जानते हैं इसके बारे में-

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झाड़ू, एक आवश्यक सफाई उपकरण है, जिसका सनातन धर्म में प्रतीकात्मक महत्व है। धनतेरस पर, घर में नई झाड़ू लाने की प्रथा है, जो समृद्धि और देवी लक्ष्मी की उपस्थिति का प्रतीक है।

1. प्रतीकवाद और सम्मान:

सनातन धर्म में, झाड़ू को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। इसे सम्मान के साथ संभालना महत्वपूर्ण है। अगर झाड़ू गलती से पैर को छू जाए, तो इसके पवित्र संबंध को स्वीकार करते हुए माफी मांगना प्रथागत है।

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2. आदर्श स्थान:

झाड़ू को घर के दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। यह स्थान सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है और घर में संतुलन बनाए रखता है।

3. उत्तर-पूर्व दिशा से बचें:

झाड़ू को उत्तर-पूर्व दिशा में रखना अशुभ माना जाता है ,यह नकारात्मकता और संभावित वित्तीय कठिनाइयों को आकर्षित करता है। यह स्थान समृद्धि और सामान्य कल्याण में गिरावट में योगदान दे सकता है।

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4. भंडारण युक्तियाँ:

झाड़ू को उपयुक्त स्थान पर रखना आवश्यक है, लेकिन इसे कभी भी रसोई में नहीं रखना चाहिए। यह खाना पकाने और खाने के क्षेत्रों में नकारात्मक ऊर्जा के प्रसार को रोकने के लिए है, जो पोषण और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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