वास्तु शास्त्र के मुताबिक प्रत्येक दिशा का खास महत्व होता है। खास तौर पर अग्नि के संबंध में बात करें तो दक्षिण-पूर्व, यानी आग्नेय कोण को अग्नी कोण कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि पांच तत्वों में अग्नी सबसे कम मात्रा में पाई जाती है। अग्नि का गहरा नाता हमारे पाचन तंत्र से है। सूर्य भी अग्नि है और इसी अग्नि से यह पूरा संसार रोशन होता है।

अग्नि से जुड़ी इतनी सारी बातें हमने इसीलिए बताई क्योंकि अग्नि का हमारे जीवन मे बहुत महत्व है। हमें कभी भी अग्नि का अपमान नहीं करना चाहिए। अग्नि को देवताओं का स्थान दिया गया है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक, अग्नि से संबंधित किसी भी चीज को इस दिशा में ही रखना चाहिए। हमारा शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है और इन पंचतत्वों- जल, वायु, आकाश, धरती में से एक अग्नि भी है।

अनजाने में कई बार हम दीये, मोमबत्ती या माचिस की तिल्ली को फूंक मारकर बुझाते हैं। ऐसा करना बिल्कुल गलत है। कभी भी इस तरह से अग्नि को नहीं बुझाना चाहिए और पैरों के नीचे मसलकर तो माचिस की तिल्ली को कभी भी नहीं बुझाना चाहिए। आप दूर से हाथ मारकर भी उसे बुझा सकते हैं।

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