वास्तु शास्त्र का बहुत महत्व होता है क्योंकि वास्तु शास्त्र में मानव जीवन में आने वाली हर समस्या के समाधान के लिए कई नियम और उपाय बताए गए हैं वास्तुशास्त्र में घर को लेकर भी कई नियम और उपाय बताए गए हैं क्योंकि हर किसी का एक सपना होता है कि उसका भी एक छोटा सा और प्यारा सा घर हो और हर कोई यह उम्मीद करता है कि उसके इस छोटे से घर में सकारात्मकता के साथ-साथ शांति और समृद्धि बनी रहे। जिसके लिए घर की वास्तु दिशा अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है घर की वास्तु दिशा संपत्ति की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित करती है। आइए इसलिए के माध्यम से आपको बताते हैं कि वास्तु शास्त्र के अनुसार कौन सी दिशा क्या कहती है। आइए जानते है -


* घर का मुख होना चाहिए इन दिशाओं में :

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुंह हमेशा वास्तु शास्त्र के अनुसार होना चाहिए वास्तुशास्त्र में घर के मुख्य के लिए पूर्व या उत्तर दिशा बताई गई है यदि इन दोनों दिशाओं में घर का मुंह नहीं है तो आप इसके लिए पश्चिम दिशा में मुख्य वाला घर ले सकते हैं लेकिन आपको कभी भी दक्षिण दिशा मैं मुख वाला घर नही बनाना चाहिए या नहीं लेना चाहिए।


* दक्षिण मुखी घर के वास्तु हो इस तरह :

वास्तु शास्त्र में दक्षिण मुखी घर को लेकर बताया जाता है कि ऐसे घर में रहने वाले लोगों को कष्ट और समस्याओं का सामना करना पड़ता है जिसकी वजह से लोग इस दिशा में मुख वाले मकान में रहने से डरते हैं। बताया जाता है कि इस दिशा में मुख वाले घर में रहने से ही किसी की अकाल मृत्यु हो सकती है जबकि वास्तु शास्त्र कहता है कि दक्षिण दिशा में मुख वाले घर का वास्तु शास्त्र ठीक तरह से हो तो दूसरी दिशाओं की तुलना में ऐसे घर में रहने वाले लोग ज्यादा सुखी और यस तथा मान सम्मान पाते हैं और ऐसे घर में रहने वाले लोगों का जीवन वैभवशाली होता है बस वास्तु के नियमों का ध्यान रखना होगा।


* दक्षिण दिशा मुखी घर में इन वास्तु नियमों का रखें ध्यान :

1. घर में इस दिशा में हो सेप्टिक टैंक -

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर का मुख्य द्वार दक्षिण पूर्व कोने में होना चाहिए दक्षिण पश्चिम दिशा में बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए। क्योंकि ऐसी स्थिति में घर का वास्तु के अनुरूप कभी भी नहीं हो सकता। ऐसी स्थिति में दक्षिण की तुलना में उत्तर दिशा में और पश्चिम की तुलना में पूर्व दिशा में अधिक खुली जगह छोड़नी चाहिए। यदि आप अपने घर में किसी भी तरह का भूमिगत टैंक या बोरिंग तथा कुआं आदि बनाना चाहते हैं तो इसके लिए केवल उत्तर दिशा या उत्तर ईशान, पूर्वी शान या पूर्व दिशा के बीच ही कम्पाउंड वॉल के साथ रखना चाहिए। सैप्टिक टैंक हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा में है होना चाहिए

2. वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि दक्षिण दिशा मुखी घर में गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था उत्तर या पूर्व दिशा में नहीं हो पा रही है तो ऐसी स्थिति में कंपाउंड वॉल के साथ प्लाट के पूर्व दिशा में एक माली बनाकर पूर्व आग्नेय की और बाहर निकाल दें। या फिर ईशान कोण से नाली बनाकर उत्तर वायव्य से बाहर निकाल दे।

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