तुलसीदास को इतिहास के महान कवियों में से एक माना जाता है। इन्होने अपने शब्दों के माध्यम से जिंदगी के कई कठिन कामों के राज खोले हैं और लोगों तक अपना ज्ञान पहुंचाया है। ठीक उसी तरह तुलसीदास जी ने स्त्रियों के बारे में भी कई ऐसी बातें कही हैं जो मनुष्य के जीवन में काफी अधिक महत्व रखती है। आज हम आपको तुलसी दास के उन दोहों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनमे उन्होंने स्त्रियों का उल्लेख किया है और उनके बारे में अपने विचार रखे हैं। आइये जाने हैं इस बारे में।

तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर, सुन्दर केकिही पेखु बचन सुधा सम असन अहि।।

तुलसीदास जी ने अपने इस दोहे के माध्यम से कहा है कि सुंदर स्त्री को देख कर हर पुरुष उस पर मोहित हो जाता है। यहाँ तक कि समझदार व्यक्ति भी सुंदर स्त्री के मोह में आकर सब कुछ छोड़ कर उसके पीछे चलने लगते हैं। मोर भी सबको अपनी ओर आकर्षित करता है और उसके रूप को देख कर सब उस पर मोहित हो जाते हैं लेकिन जब वह सांप खाता है तो सबका भ्रम टूट जाता है। इसलिए कभी किसी की खूबसूरती के पीछे नहीं भागना चाहिए बल्कि मनुष्यों के गुणों की कदर करनी चाहिए।

जननी सम जानहिं पर नारी। तिन्ह के मन सुभ सदन तुम्हारे।

तुलसीदास जी इस दोहे के जरिए कहना चाहते हैं कि जो पुरुष अपनी स्त्री और मां के अलावा बाकी सभी स्त्रियों को बहन और मां का दर्जा देते हैं उनके हृदय में स्वयं भगवान वास करते हैं। ऐसे मनुष्य बेहद पवित्र और सच्चे होते हैं और स्त्रियों की इज्जत करना उन्हें अच्छे से आता है।

धीरज, धर्म, मित्र अरु नारी।आपद काल परखिए चारी।।

तुलसीदास जी ने इस दोहे में कहा है कि अपने जीवन में धीरज, धर्म, मित्र और पत्नी की परीक्षा मुश्किल समय में कर लेनी चाहिए इस से आपको इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि कौन आपका अपना है और कोण पराया।

सचिव बैद गुरु तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस, राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास।।

इस दोहे में तुलसीदास जी बताना चाहते हैं कि गुरु, राजनेता और वैद्य यदि अपने किसी स्वार्थ के कारण दूसरों से काफी प्यार से पेश आते हैं तो इनके पद का जल्द ही विनाश हो जाता है। तुलसीदास जी साफ रूप से यह कहना चाहते हैं कि किसी पद पर रहते हुए केवल अपने बारे में सोचना ही सही नहीं है इस से सत्ता आपके हाथ से छिन सकती है।

मूढ़ तोहि अतिसय अभिमाना, नारी सिखावन करसि काना।।

महान कवि तुलसीदास जी अपने इस दोहे के माध्यम से बताते हैं कि जो व्यक्ति महान या किसी महात्मा पुरुष की बात नहीं मानता है वह पतन के गहरे गड्ढे में चला जाता है। जिस तरह बाली ने अपनी पत्नी की बात ना मानते हुए वो काम किया जो उसे नहीं करना चाहिए था तो उसे हार का मुँह ही देखना पड़ा था। इसलिए मनुष्य को सोच समझ कर ही कोई काम करना चाहिए।

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