हिंदू धर्म में शालिग्राम को बहुत पवित्र और भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है। शालिग्राम शिला को भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है। देवौथी एकादशी पर तुलसी जी के शालिग्राम से विवाह किया जाता है। इस बार देवौथी एकादशी 4 नवंबर, शुक्रवार को है। शालिग्राम शिला क्या है इससे जुड़ी और भी कई मान्यताएं हैं। यह भी कहा जाता है कि जिस घर में शालिग्राम शिला रखी जाती है उस घर में धन और अन्न की कमी नहीं होती है।शालिग्राम शीला नेपाल की गंडकी नदी में पाई जाती है। इस चट्टान पर कीड़े के काटने के निशान हैं। ये निशान सुदर्शन चक्र की तरह दिखते हैं। उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार शालिग्राम शिला को प्राण प्रतिष्ठा होने की आवश्यकता नहीं है, इसे सीधे मंदिर में स्थापित किया जा सकता है।

भगवान शालिग्राम की पूजा तुलसी के बिना पूरी नहीं होती और तुलसी का भोग लगाने से वह तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं। देवौथी एकादशी पर शालिग्राम और तुलसी विवाह सभी प्रकार के अभावों, कष्टों, पापों, दुखों और रोगों को दूर करता है। तुलसी और शालिग्राम शिला के विवाह से वही पुण्य फल मिलता है, जो कन्या के विवाह में मिलता है।


धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जिस घर में शालिग्राम शिला की पूजा की जाती है उस घर में वास्तु दोष, पितृ दोष, ग्रह दोष जैसे सभी प्रकार के दोष दूर हो जाते हैं। उस घर में हमेशा महालक्ष्मी की कृपा बनी रहती है और नकारात्मकता दूर रहती है। विष्णु पुराण के अनुसार जिस घर में शालिग्राम भगवान विराजमान हों वह तीर्थ के समान होता है।

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