महाबलीपुरम शहर समुद्र तट पर स्थित है और इस शहर का इतिहास बहुत प्राचीन है। महाबलीपुरम मंदिर को एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में माना गया है। महाबलीपुरम शहर यहां के भव्य मंदिरों के लिए जाना जाता है हर साल यहां पर बड़ी संख्या में लोग विदेशों से घूमने के लिए आते हैं महाबलीपुरम मंदिर की लोकप्रियता इतनी तेजी से बढ़ती जा रही है कि। भारत पर्यटन संख्या की 2022 के अनुसार महाबलीपुरम में ताजमहल से भी अधिक संख्या में विदेशी पर्यटक घूमने के लिए आए हैं। क्योंकि यह जगह है ही इतनी खूबसूरत इसलिए आप भी एक बार जरूर जाने का प्लान बना है आइए जानते हैं इस जगह के बारे में विस्तार से -


* रिपोर्ट के अनुसार महाबलीपुरम मैं साल 2021-22 में कुल 144284 विदेशी पर्यटक घूमने के लिए यहां पर आए थे और यह संख्या विदेशी पर्यटकों का 45.50% है। इन लोगों ने टिकट के इस्तेमाल के साथ शीर्ष 10 सबसे लोकप्रिय और केंद्रीय रूप में संरक्षित जगहों का दौरा किया।


* रिपोर्ट के अनुसार बताए गए आंकड़ों के हिसाब से ताजमहल को देखने के लिए 38000 पर्यटकों आए थे। इसी के साथ दूसरे नंबर पर रहा था। महाबलीपुरम शहर का नाम दानवीर असुर राजा महाबली के नाम पर रखा गया था। महाबलीपुरम शहर में स्थित कई मंदिर इस शहर की शोभा को बढ़ा रहे हैं।


* महाबलीपुरम शहर में स्थित शोर मंदिर प्राचीन कला का एक अच्छा उदाहरण माना जाता है यह मंदिर ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है और पंच रथ या फिर कहे की पंच पांडव का रथ नामक मंदिर है। यह मंदिर एक स्मारक परिसर है। जहां पर आप भी घूमने के लिए जा सकते हैं।


* महाबलीपुरम शहर में कृष्ण के मक्खन केंद्र के नाम से एक पत्थर प्रसिद्ध है और यह पत्थर लगभग 12 साल पुराना है यह पत्थर एक दलाल वाली पहाड़ी पर टिका हुआ है और इस पत्थर को लेकर ऐसा माना जाता है कि इस पत्थर को भगवान कृष्ण ने बाल्यावस्था में नीचे गिरा दिया था।

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