Travel Tips: इस बार घूमने के लिए कोणार्क के सूर्य मंदिर का करे प्लान, जानिए इसके बारे में !
ओडिशा का एक छोटा सा शहर है कोणार्क। ओडिशा का यह शहर अपने सूर्य मंदिर के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है यह एक वर्ल्ड हेरिटेज साइट है। कोणार्क शब्द कोण और अर्क से मिलकर बना है। जिसका मतलब होता है सूर्य का किनारा। कोणार्क शहर के इस सूर्य मंदिर को पूर्व दिशा की ओर से इस तरह बनाया गया है कि सूरज की पहली किरण इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर पड़ती है इस मंदिर को देखने के लिए विदेशों से भी लोग आते हैं। इस मंदिर को रहस्य से भरा मंदिर माना जाता है आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से जेड
* ओडिशा के कोणार्क शहर के सूर्य मंदिर को रथ के आकार में बनाया गया है और इसमें कुल 12 जोड़ी पहिए हैं जो साल के 12 महीनों का प्रतीक है। इस रथ को सात घोड़े खींचते हुए बनाए गए हैं यह सात घोड़े सप्ताह के सातों दिनों को दर्शाते हैं। तीन पहियों में से चार पहिए इस तरह से बनाए गए हैं कि यह दिन में आपको समय बता सकते हैं।
* सूर्य मंदिर कोणार्क के पुरी में है यह मंदिर सूर्य भगवान को समर्पित मंदिर है और इस मंदिर का निर्माण 1250 ईसवी में गांग वंश राजा नरसिंह देव प्रथम के द्वारा कराया गया था। इसका मतलब यह है कि कोणार्क का सूर्य मंदिर 772 साल पुराना मंदिर है।
* इस मंदिर के निर्माण को लेकर बताया जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में कुल 1200 कुशल कारीगरों ने 12 साल तक काम किया लेकिन फिर भी इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया और बताया जाता है कि मुख्य शिल्पकार दिसुमुहराना के बेटे धर्मपदा ने निर्माण पूरा किया। और इस मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद उन्होंने चंद्रभागा नदी में कूदकर अपनी जान दे दी थी।
* ओडिशा के कोणार्क का सूर्य मंदिर जगन्नाथ पुरी से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और इस मंदिर को साल 1984 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया था। इतिहासकार बताते हैं कि इस मंदिर को बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए पत्थर को भारत के बाहर से लाया गया था।