इंटरनेट डेस्क. भारत देश पूरे विश्व में अनेकता में एकता के लिए जाना जाता है यहां पर अलग-अलग संस्कृतियों और अलग-अलग धर्म वाले लोग एक साथ निवास करते हैं। यहां पर सभी धार्मिक रीति-रिवाजों का पूरी तरह से सम्मान किया जाता है। भारत भले ही ऐतिहासिक जगह से समृद्ध है लेकिन यहां पर धार्मिक स्थल भी अपनी अलग-अलग गाथा लिए हुए हैं। यहां पर मौजूद कई धार्मिक स्थल ऐसे हैं जो अपना अपना इतिहास लिए हुए हैं। भारत में कई ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद है जो अनोखे रीति रिवाज और चर्चित रीति-रिवाजों के कारण फेमस है। भारत में एक ऐसा ही अनोखा मंदिर उत्तराखंड में भी स्थित है इस मंदिर से जुड़े हुए तथ्य बहुत ही रोचक है आपको जानकर हैरानी होगी इस मंदिर के कपाट पूरी साल में केवल और केवल एक ही दिन खुलते हैं और वह दिन है रक्षाबंधन का दिन। आइए जानते है इस मंदिर के बारे में विस्तार से -

* उत्तराखंड में मौजूद मंदिर से जुड़ी रोचक बातें :

1. उत्तराखंड में मौजूद इस अनोखे मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा मौजूद है इस मंदिर के पुजारी राजपूत है जो हर साल रक्षाबंधन के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन करते हैं इस मंदिर की अंदर से ऊंचाई महज 10 फुट है।

2. उत्तराखंड में मौजूद इस मंदिर के पास में ही भालू गुफा भी मौजूद है जहां पर इस मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए प्रसाद बनता है। बताया जाता है कि यहां पर हर घर से मक्खन आता है और इस मक्खन को ही प्रसाद में मिलाकर भगवान को चढ़ाया जाता है।

3. उत्तराखंड में मौजूद इस मंदिर में जाने के लिए आपको सबसे पहले उत्तराखंड के चमोली जिले में जाना होगा फिर यहां से पूर्व घाटी पहुंचना होगा जिसके बाद आपको कम से कम 12 किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा तब जाकर आपको इस मंदिर में दर्शन करने को मिलेंगे।

* केवल रक्षाबंधन पर ही खुलते हैं इस मंदिर के कपाट :

उत्तराखंड में मौजूद इस मंदिर के कपाट केवल साल में एक बार रक्षाबंधन के दिन ही खुलते हैं। यहां आस पास रहने वाली लड़कियां और महिलाएं पूरे रीति-रिवाजों के तहत अपने भाइयों को राखी बांधने से पहले इस मंदिर में जाकर भगवान की पूजा करती है। कहा जाता है कि इस मंदिर में मौजूद श्री कृष्ण भगवान और कल्याणकारी शिव की प्रतिमा मौजूद है। इस मंदिर से कई पुराने इतिहास जुड़े हुए हैं। कहा जाता है कि भगवान विष्णु अपने वामन अवतार से मुक्त होने के बाद सबसे पहले इसी जगह पर प्रकट हुए थे। इसके बाद से भगवान नारायण की पूजा यहां पर देव ऋषि नारद किया करते थे। इसी वजह से यहां पर पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्य को सिर्फ एक ही दिन के लिए पूजा का अधिकार दिया गया है और वह दिन है रक्षाबंधन का दिन। केवल रक्षाबंधन के दिन ही इस मंदिर के कपाट खोले जाते हैं।

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