Travel Tips: वृंदावन घूमने के लिए ना लें छुट्टी, इतने दिन में घूमें, बेहद कम आएगा ट्रिप
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यमुना नदी के किनारे बसा वृंदावन पुराने और प्राचीन शहरों में शुमार है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस शहर का महत्व काफी ज्यादा देखने को मिलता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण ने अपना बचपन यही बिताया था। इस जगह पर श्री कृष्ण और देवी राधा को समर्पित कई मंदिर मौजूद हैं। आप चाहें बांके बिहारी मंदिर देख लें या फिर इस्कॉन टेम्पल ऐसे कई खूबसूरत मंदिर यहां देखने को मिल जाएंगे।
ज्यादातर लोग यहां घूमने के लिए आते हैं, और अक्सर यहां मंदिरों में दर्शन करने के लिए पूरी शिद्द्त के साथ रुकते हैं। अगर आप भी यहां जाना चाहते हैं, तो आपको बताते हैं आखिर यहां घूमने का कितना खर्च आता है और घूमने के लिए कितने दिन होने चाहिए।
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वृंदावन जाने में कितना खर्च आता है?
घूमने-फिरने में कितना आएगा ये पूरी तरह से ट्रैवेलर पर निर्भर करता है। अगर आप वृंदावन दो दिन के लिए जा रहे हैं, तो काँप वृंदावन की यात्रा को 3 से 4 हजार रुपए में पूरा कर सकते हैं। वृंदावन में खानपान का ज्यादा खर्च भी नहीं आएगा। आप 800 से 1000 रुपए में यहां पूरे दिन का खाना-पीना भी कर सकते हैं। होटल का कमरा यहां आपको 1000 रुपए में पड़ेगा। इसके अलावा यहां चाहें तो आप धर्मशाला में भी रुक सकते हैं। रिक्शा से घूमने के लिए आपको 200 रुपए का खर्च पड़ेगा।
वृंदावन जाने में कितना आता खर्च
वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर, प्रेम मंदिर, पागल बाबा मंदिर, सेवा कुंज, निधिवन, गोवर्धन पर्वत जैसी कई लोकप्रिय स्थल है, जहां आप अपनी फैमिली के साथ जा सकते हैं। अगर आप कुछ खास मंदिरों में जाना चाहते हैं, तो 2 दिन बहुत हैं। लेकिन अगर आप वृंदावन को पूरा अच्छे से एक्सप्लोर करना चाहते हैं, तो 5 से 7 दिन का समय लेकर चलें। दिल्ली में रहने वाले लोग तो एक दिन में भी बांके बिहारी के दर्शन करके घर को लौट आते हैं।
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वृंदावन कैसे पहुंचे
हवाईजहाज से: 150 किमी दूर दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा पास का हवाई अड्डा है। टैक्सी से वृंदावन पहुंचने में लगभग साढ़े तीन घंटे लगेंगे।
ट्रेन से: वृंदावन में एक रेलवे स्टेशन है, लेकिन सभी ट्रेनें यहां नहीं रुकतीं। पास का प्रमुख रेलवे स्टेशन लगभग 14 किमी दूर मथुरा में है। मथुरा से वृंदावन के लिए टैक्सियां, बसें और किराये के ऑटो-रिक्शा उपलब्ध हैं।
सड़क द्वारा: वृंदावन में कई भारतीय शहरों से कोई सीधा नॉन-स्टॉप बस मार्ग नहीं है, सिवाय मथुरा के, जो 10 किमी की दूरी पर है। दूसरा राजस्थान का भरतपुर, जो 45 किमी दूर है। दो अन्य सीधी बसें भी हैं जो प्रतिदिन वृंदावन के लिए वहां से चलती हैं।
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