देवघर के बैद्यनाथ धाम की गिनती देश के पवित्र द्वादश ज्योतिर्लिंगों में होती है, शास्त्रों में भी यहां की महिमा का उल्लेख है। मान्यता है कि जो भी सच्चे मन से यह बाबा के दर्शन को आते है उनकी हर मोकामना पूरी होती है। इसके लिए सावन का महीना खास होता है, इसलिए पूरे सावन में यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।


शास्त्रों के अनुसार यहां माता सती के हृदय और भगवान शिव के आत्मलिंग का सम्मिश्रण है, इसलिए यहां के ज्योतिर्लिंग में अपार शक्ति है। यहां सच्चे मन से पूजा- पाठ और ध्यान करने पर हर मनोकामना अवश्य पूरी होती है. बड़े- बड़े साधु- संत मोक्ष पाने के लिए यहां आते हैं।

शिवपुराण के शक्ति खंड में इस बात का उल्लेख है कि माता सती के शरीर के 52 खंडों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने सभी जगहों पर भैरव को स्थापित किया था, देवघर में माता का हृदय गिरा था, इसलिए इसे हृदय पीठ या शक्ति पीठ भी कहते हैं। माता के हृदय की रक्षा के लिए भगवान शिव ने यहां जिस भैरव को स्थापित किया था, उनका नाम बैद्यनाथ था, इसलिए जब रावण शिवलिंग को लेकर यहां पहुंचा, तो भगवान ब्रह्मा और बिष्णु ने भैरव के नाम पर उस शिवलिंग का नाम बैद्यनाथ रख दिया।

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