इसमें कोई शक नहीं कि सुख और दुःख इंसान के जीवन का वो हिस्सा है, जिसे चाहते हुए भी इंसान अपने जीवन से निकाल नहीं सकता. जी हां हर व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी तो उतार चढ़ाव जरूर आते है. हालांकि ये बात अलग है कि कुछ लोग जिंदगी की मुश्किलों से डर कर खुद को खत्म कर देते है और कुछ लोग जिंदगी का डट कर सामना करते है. यानि अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो इंसान को अपने जीवन में कभी न कभी तो किसी न किसी परेशानी का सामना करना ही पड़ता है. ऐसे में कुछ लोग सफल हो जाते है और कुछ लोगो के हाथो में केवल निराशा ही लगती है.

वही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इंसान की कुंडली में ग्रह दोषो के कारण ही उसे मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. बरहलाल शास्त्रों में ग्रह दोषो से मुक्ति पाने के लिए कई तरह के उपाय भी बताएं गए है. जी हां आपने अक्सर देखा होगा कि लोग अपने ग्रह दोषो को दूर करने के लिए पूजा पाठ करवाते है और पूजा के बाद उनकी कलाई पर लाल रंग का धागा भी बाँधा जाता है. गौरतलब है कि इस लाल रंग के धागे को कलावा या मौली कहते है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि इसे कलाई पर बांधने से नकारात्मक शक्तियां हमसे दूर रहती है. इसके साथ ही आज हम आपको बताएंगे कि कलाई पर कलावा बाँधने का क्या महत्व होता है

तो चलिए अब आपको इसके बारे में विस्तार से बताते है. गौरतलब है कि कलाई पर मौली बाँधने की प्रथा आज से नहीं बल्कि कई सदियों से चली आ रही है. जी हां वास्तव में मौली बाँधने के भी कई नियम होते है. जैसे कि पुरुषो के दाएं हाथ में और महिलाओ के बाएं हाथ में मौली बाँधी जाती है. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि मौली केवल पूजा पाठ को संपन्न करने के लिए ही नहीं बाँधी जाती, बल्कि इससे व्यक्ति के स्वास्थ्य को भी कई तरह के लाभ मिलते है. तो चलिए अब आपको इससे होने वाले फायदों के बारे में बताते है.

१. ऐसा कहा जाता है कि मौली को कलाई पर बांधने से त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु और महेश और इसके साथ ही तीनो देवियां यानि लक्ष्मी जी, पार्वती जी और सरस्वती जी इन सब की विशेष कृपा आप पर बनी रहती है.

२. इसके साथ ही कलाई पर कलावा बांधने से धन की देवी यानि लक्ष्मी जी भी अपनी कृपा आप पर बरसाती रहती है. इसके साथ ही माँ पार्वती यानि माँ दुर्गा से शक्ति की और माँ सरस्वती से ज्ञान की प्राप्ति होती है.

३. वही इससे स्वास्थ्य को भी काफी लाभ मिलता है. जी हां बता दे कि कलाई पर मौली बाँधने से कलाई पर दबाव पड़ता है. इससे वात, पित्त और कफ की समस्या भी दूर होती है.

अब यूँ तो बहुत से लोग ऐसे है जो इसे पुरानी प्रथा का नाम देकर नकार देते है. मगर हमें उम्मीद है कि इसे पढ़ने के बाद आप समझ गए होंगे कि कलाई पर मौली बांधने का क्या महत्व होता है और हमें यकीन है कि अब से अपनी कलाई पर मौली बांध कर जरूर रखेंगे.

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