साल 1978 की बात है। रंगा और बिल्ला ने बहन-भाई का फिरौती के लिए अपहरण कर लिया था। दोनों अपराधियों ने दोनों बहन भाई को लिफ्ट देने के बहाने अगवा किया था, लेकिन जब रंगा बिल्ला को पता चला कि दोनों बहन भाई-गीता और संजय चौपड़ा एक नौसेना अधिकारी के बच्चे हैं तो वे दहशत में आ गए और उन्हें यातना देने के बाद उनकी हत्या कर दी। हत्या से पूर्व गीता के साथ बलात्कार किया गया था। कुलजीत सिंह उर्फ रंगा खुश और जसबीर सिंह उर्फ बिल्ला को मौत की सजा सुनाई गई और घटना के चार साल बाद फांसी पर लटकाया गया। 


तिहाड़ जेल के पूर्व कानून अधिकारी सुनील गुप्ता और पत्रकार सुनेत्रा चौधरी द्वारा लिखी गई किताब ब्लैक वारंट में यह जानकारी दी गई है। किताब के मुताबिक जल्लाद द्वारा लीवर खींचे जाने के करीब दो घंटे बाद दोनों के शवों की जांच करने वाले डाक्टरों ने पाया कि रंगा की नब्ज चल रही थी। 

डाक्टर भी हैरान रह गए इसके बाद एक गार्ड को उस कुंए में उतारा गया जिसके ऊपर रंगा का शरीर झूल रहा था। गार्ड ने नीचे उतर कर रंगा के पैर खींचे थे। 

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