इस स्टोरी हम आपको एक ऐसे फल के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दिखने में बिल्कुल जामुन की तरह है, और भारत में उगने वाली इस किस्म को मोरस इंडिका कहा जाता है। जी हां, हम आपसे शहतूत के बारे में बात कर रहे हैं। शहतूत के फल साल में दो बार मार्च से मई तक और फिर अक्टूबर से नवंबर के बीच फलते हैं।
शहतूत में राइबोफ्लेविन, आयरन, विटामिन सी, विटामिन के, पोटैशियम, फॉस्फोरस और कैल्शियम की प्रचुर मात्रा मौजूद होती है। इसमें फाइबर के अलावा कार्बनिक यौगिकों की एक विस्तृत श्रृंखला भी शामिल है। शहतूत में फाइटोन्यूट्रिएंट्स, ज़ेक्सैंथिन, रेस्वेराट्रोल, एन्थोकायनिन, ल्यूटिन और विभिन्न पॉलीफेनोलिक यौगिक शामिल हैं।

पेट के रोगों से छुटकारा

शहतूत में फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है। बता दें कि फाइबर हमारी आंतों से मल की सफाई करता है और पाचन में सुधार करता है। शरीर में फाइबर की पर्याप्त मात्रा कब्ज, सूजन और ऐंठन की समस्याओं से निजात दिलाता है।

डायबिटीज से रखे दूर

सफेद शहतूत विशेष रूप से शरीर के शुगर लेवल को नियंत्रित रखते हैं। सफेद शहतूत में मौजूद कुछ रसायन टाइप 2 डायबिटीज के इलाज के लिए अमृत समान है।

रोगों से लड़ने की क्षमता में इजाफा

शहतूत में विटामिन सी की भरपूर मात्रा पाई जाती है। बता दें कि शरीर में होने वाले किसी भी संक्रमण के खिलाफ विटामिन सी एक महान हथियार है, क्योंकि यह इंसान को भीतर से मजबूत बनाता है। ऐसे में शहतूत के सेवन से शरीर को आवश्‍यकतानुसार विटामिन सी की जरूरत पूरी होती है।

एनीमिया का रामबाण इलाज

बता दें कि शरीर में खून यानि आयरन की कमी से एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी होती है। इसलिए आयरन की कमी दूर करने के लिए शहतूत सबसे अच्छा विकल्प है।

हृदय रोगों से रक्षा करे

शहतूत का सेवन करना आपके दिल के लिए लाभदायक है। शहतूत तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने का काम करता है। शहतूत शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। ​इस प्रकार यह फल दिल के दौरे यानि स्ट्रोक के जोखिम को बिल्कुल कम कर सकता है।

Related News